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अयोध्या मंदिर ट्रस्ट को लेकर बढ़ी रार, तपस्वी छावनी से परमहंस दास निष्कासित

locationअयोध्याPublished: Nov 16, 2019 05:33:44 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– मंदिर निर्माण से पहले अयोध्या में संतों में फूट- तीन ट्रस्टों में किसे सरकारी ट्रस्ट घोषित किया जाए इसको लेकर संत आपस में लड़ रहे हैं

Ram Mandir Trust

अयोध्या मंदिर ट्रस्ट को लेकर बढ़ी रार, तपस्वी छावनी से परमहंस दास निष्कासित

अयोध्या. अयोध्या में मंदिर निर्माण से पहले संतों में फूट पड़ गयी है। श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के गठन में कौन भागीदार होगा, किसको अध्यक्ष बनाया जाए और पहले से बने तीन ट्रस्टों में किसे सरकारी ट्रस्ट घोषित किया जाए इसको लेकर संत आपस में लड़ रहे हैं। इस मुद्दे पर सबकी अपनी ढपली अपना राग है। बढ़ते विवाद के बीच शनिवार को महंत परमहंस दास को तपस्वी छावनी से निष्काषित कर दिया गया। विवाद तब शुरू हुआ जब गुरुवार को महंत नृत्यगोपाल के समर्थकों ने ट्रस्ट के संबंध में विवाद के बाद तपस्वी छावनी में तोडफ़ोड़ की। बाद में पुलिस ने महंत परमहंसदास को हिरासत में ले लिया। शुक्रवार को परमहंसदास ने एक वीडियो जारी कर नृत्यगोपाल पर हत्या की साजिश का आरोप लगाया। इसके बाद शनिवार को राम जन्मभूमि न्यास के महंत नृत्यगोपालदास पर अभद्र टिप्पणी करने वाले परमहंसदास को उनके ही गुरू सर्वेश्वर दास ने तपस्वी छावनी से निष्कासित कर दिया है। बयानबाजी पर अभी कई और महंतों भी पर कार्रवाई हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने गोरक्षनाथ पीठ के पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाये जाने की मांग की थी। तब श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य डॉ. रामविलास दास वेदांती ने परहंसदास से खुद को अध्यक्ष के तौर पर प्रचारित करने को कहा। फोन पर बातचीत के दौरान परमहंसदास ने श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास पर कोई अभद्र टिप्पणी की थी। यह वायरल हो गई, जिसके बाद हंगामा मच गया। नृत्यगोपाल दास के समर्थकों ने परमहंसदास का घेराव करते हुए उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। शनिवार को परमहंसदास को उनके ही गुरु सर्वेश्वर दास ने तपस्वी छावनी से निष्कासित कर दिया गया। सर्वेश्वर दास ने कहा कि उन्होंने परमहंस दास को उत्तराधिकारी बनाया था, लेकिन उनकी बयानबाजी आचरण के मुताबिक नहीं है, इसलिए आज से परमहंस दास का तपस्वी छावनी से कोई संबंध नहीं है।
तीन ट्रस्ट जता रहे दावेदारी
राम जन्मभूमि न्यास, रामालय ट्रस्ट और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न्यास यहां पहले से ही बने हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चौथा ट्रस्ट बनाने की तैयारी है। सबसे पुराना 1985 में बना ट्रस्ट विश्व हिंदू परिषद का श्रीरामजन्मभूमि न्यास है। दूसरा विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव राव की पहल पर बना रामालय है। तीसरा ट्रस्ट जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जनमेजय शरण की अगुवाई में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास भी इन्हीं दोनों ट्रस्टों से इतर दावेदारी करता है। राम मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित नया और चौथा ट्रस्ट गृह मंत्रालय के अधीन होगा। ट्रस्ट पूरी तरह से केंद्र सरकार का होगा। केंद्र सरकार ट्रस्टी नियुक्त कर राममंदिर निर्माण के बाद उसे स्वायत्त बना सकती है। ट्रस्ट में वैसे तो सरकारी अफसर होंगे, लेकिन सरकार धर्मगुरुओं को सलाहकार के तौर पर ट्रस्ट में शामिल कर सकती है
किसने क्या कहा?
महंत नृत्यगोपाल दास
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के मुताबिक अब ज्यादा समय नहीं रह गया है। पहले से ही कार्यशाला में शिलाखंड तैयार हैं उन्हीं को लेकर वहां लगाया जाएगा। न्यास के अध्यक्ष हम हैं सब हमारे अधीन रहेंगे, मोदी जी-योगी जी के अधीन रहेगा।
महंत कमलनयन दास
महंत मणिरामदास की छावनी के उत्तराधिकारी और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य महंत कमलनयन दास ने कहा कि मंदिर का निर्माण हमारा ट्रस्ट करेगा। संघ और संतों ने मिलकर राम मंदिर की लड़ाई लड़ी। हम मंदिर निर्माण के लिए सरकार से फूटी कौड़ी भी नहीं लेंगे, हजारों करोड़ रुपये की भूमि मिलते ही भक्त व्यवस्था करेंगे।

महंत जन्मेजयशरण
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजयशरण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है, किसी पुराने ट्रस्ट को नहीं।
महंत दिनेंद्र दास
निर्मोही अखाड़ा के पक्षकार महंत दिनेंद्र दास कहते हैं कि विश्व हिंदू परिषद को मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित धन से लेकर ईंट, शिलाएं और संपत्तियां सरकार को दे देनी चाहिए।

आचार्य सत्येंद्र दास
रामलला विराजमान के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत नया ट्रस्ट बने, तभी विकास होगा।
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