राम जन्मभूमि न्यास, रामालय ट्रस्ट और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न्यास यहां पहले से ही बने हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चौथा ट्रस्ट बनाने की तैयारी है। सबसे पुराना 1985 में बना ट्रस्ट विश्व हिंदू परिषद का श्रीरामजन्मभूमि न्यास है। दूसरा विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव राव की पहल पर बना रामालय है। तीसरा ट्रस्ट जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जनमेजय शरण की अगुवाई में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास भी इन्हीं दोनों ट्रस्टों से इतर दावेदारी करता है। राम मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित नया और चौथा ट्रस्ट गृह मंत्रालय के अधीन होगा। ट्रस्ट पूरी तरह से केंद्र सरकार का होगा। केंद्र सरकार ट्रस्टी नियुक्त कर राममंदिर निर्माण के बाद उसे स्वायत्त बना सकती है। ट्रस्ट में वैसे तो सरकारी अफसर होंगे, लेकिन सरकार धर्मगुरुओं को सलाहकार के तौर पर ट्रस्ट में शामिल कर सकती है
महंत नृत्यगोपाल दास
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के मुताबिक अब ज्यादा समय नहीं रह गया है। पहले से ही कार्यशाला में शिलाखंड तैयार हैं उन्हीं को लेकर वहां लगाया जाएगा। न्यास के अध्यक्ष हम हैं सब हमारे अधीन रहेंगे, मोदी जी-योगी जी के अधीन रहेगा।
महंत मणिरामदास की छावनी के उत्तराधिकारी और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य महंत कमलनयन दास ने कहा कि मंदिर का निर्माण हमारा ट्रस्ट करेगा। संघ और संतों ने मिलकर राम मंदिर की लड़ाई लड़ी। हम मंदिर निर्माण के लिए सरकार से फूटी कौड़ी भी नहीं लेंगे, हजारों करोड़ रुपये की भूमि मिलते ही भक्त व्यवस्था करेंगे।
महंत जन्मेजयशरण
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजयशरण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है, किसी पुराने ट्रस्ट को नहीं।
निर्मोही अखाड़ा के पक्षकार महंत दिनेंद्र दास कहते हैं कि विश्व हिंदू परिषद को मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित धन से लेकर ईंट, शिलाएं और संपत्तियां सरकार को दे देनी चाहिए। आचार्य सत्येंद्र दास
रामलला विराजमान के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत नया ट्रस्ट बने, तभी विकास होगा।