राम मंदिर निर्माण से पूर्व भगवान रामलला के पूजा-पाठ व भोग में बदलाव के लिए अब नए पुजारी का चुनाव किया जाएगा। अब रामलला की आरती में श्रद्धालुओं को भी शामिल किया जाएगा। जिसके लिए ट्रस्ट मंदिर निर्माण के लिए भगवान रामलला को दूसरे स्थान पर शिफ्ट किए जाने के साथ नए पुजारियों को कार्यभार सौंपा जाएगा। वहीं रामजन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण की कवायद तेज कर दी गई है। जिसके लिए परिसर में क्रेन व जेसीबी मशीन से समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है। मंदिर निर्माण से पहले भगवान श्री रामलला को दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जाएगा जिसके लिए परिसर में स्थित आनंद भवन के पीछे अस्थाई स्ट्रक्चर को बैठाए जाने के लिए आसपास के क्षेत्रों में सफाई की जा रही है। नवरात्रि में राम नवमी पर्व पर श्री रामलला को शिफ्ट किया जाएगा जहां भगवान रामलला की आरती व पूजन में बदलाव भी किया जाएगा।
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ट्रस्ट तय करेगा पुजारी होने का अधिकार
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय के मुताबिक रामजन्मभूमि में विराजमान भगवान श्री रामलला के पक्ष में फैसला आने के बाद कई चीजों में बदलाव किए जाने हैं जिसमें भगवान श्री रामलला की आरती पूजन के समय के साथ इनमें शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं को भी मौका मिले इसका भी ध्यान रखा जाएगा साथ ही टेंट रूपी मंदिर में विराजमान भगवान श्री रामलला के भव्य मंदिर के बदलाव के साथ उनकी सेवा करने वाले पुजारियों के लिए भी ट्रस्ट विचार करने जा रही है और अगली बैठक में नए पुजारियों की नियुक्ति भी ट्रस्ट कर सकती है।
नए पुजारी के दौर में कौन-कौन हैं शामिल
रामजन्मभूमि परिसर में विराजमान भगवान श्री रामलला के वर्तमान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास लगभग 28 वर्षों से रामलला की पूजा पाठ करते चले आ रहे हैं। 1992 में हुई विवादित ढांचा विध्वंस की घटना के बाद कोर्ट द्वारा तय किए गए। रिसीवर के अनुसार आचार्य सत्येंद्र दास को पुजारी होने का दायित्व दिया गया था। लेकिन अब उनकी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए रामलला के मुख्य पुजारी के पद से हटाया जा सकता है।
निर्मोही अखाड़ा की सैकड़ों वर्षों से परिसर में दावेदारी रही है जिनके कारण निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास ने भी पुजारी के अधिकार का दावा किया हैं। जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के ट्रस्ट में शामिल होने का निर्मोही अखाड़ा को अधिकार दिया था। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में शामिल किया गया है। महंत दिनेंद्र दास का कहना है कि नया ट्रस्ट बनने के बाद रामलला के पूजा-पाठ से लेकर राग-भोग की व्यवस्था में भी सुधार होगा।
महंत धर्मदास ने भी पुजारी के अधिकार का दावा किया है जिसके लिए उन्होंने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों व केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा है इनका दावा है कि इसके पूर्व ब्रह्मलीन महंत अवराम दास भगवान श्री राम के प्राकृतिक के बाद पूजा पाठ करते रहे हैं और एक लंबे समय से राम मंदिर विवाद को लेकर लोवर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाइयां भी लड़ी इसलिए पुजारी में अधिकार मिलने की बात कही है।
राजेंद्र सिंह विशारद को भी रामलला के पुजारी होने की दौड में देखा जा रहा है क्योंकि इसके पूर्व उनके पिता गोपाल सिंह विशारद ने 1949 में बाबरी मस्जिद में मूर्ति रखने के बाद हिंदू महासभा की ओर से रामलला दर्शन और पूजन के व्यक्तिगत अधिकार के लिए 1950 में फैजाबाद के न्यायालय में मुकदमा दायर किया था और लंबे समय से रामलला की पूजन अर्चन किया लेकिन 1986 में इनकी मौत हो जाने के बाद किसी को भी पूजा की अनुमति नहीं मिली थी।
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रामलला के पुजारियों का बढ़ेगा वेतन
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन के बाद वर्षों से तंगी झेल रहे रामलला के पुजारियों के पारिश्रमिक समेत राग-भोग में वृद्धि किए जाने के भी आसार हैं। अब तक कोर्ट के निर्देशानुसार साल दर साल महंगाई से तुलना में सरकार बजट बनाती थी। जिसमें तंगी झेल रहे रामलला विराजमान के मुख्य पुजारियों को अब तक कम पारिश्रमिक मिलता आया है। मगर अब रामलला के नए बुलेट प्रूफ फाइबर के अस्थाई भवन में शिफ्ट होने के साथ ही ट्रस्ट और मंदिर के पुजारियों की व्यवस्था सुधरने की तैयारी में है। यानि नए ट्रस्ट द्वारा रामलला के पुजारियों का वेतन बढ़ाया जा सकता है। आचार्य सत्येंद्र दास ने उम्मीद जताई है कि वेतन बढ़ने से रामलला के लिए वस्त्र आदि की परेशानियां कम हो जाएंगी। साथ ही कहा कि जीवन यापन और राग-भोग के लिए मुख्य पुजारी के रूप में उन्हें 13 हजार रुपए व चार अन्य पुजारियों को आठ-आठ हजार रुपए मासिक वेतन दिया जाता है। इसके पहले मुख्य पुजारी का वेतन 12 हजार रुपए थे जिसमें पिछले साल एक हजार की वृद्धि की गई थी।