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भगवान राम तक की पोशाक नहीं बदल पा रही मोदी-योगी सरकार, यह कैसा राम राज्य

locationअयोध्याPublished: Aug 13, 2019 03:51:58 pm

– रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास (Satyendra Das) ने व्यवस्था पर खड़े किए कई सवाल
– ठाकुरजी की पूजा और व्यवस्था के लिये रिसीवर के आदेश पर मिलने वाला धन नाकाफी
– लंबी दूरी तय करने के बाद श्रद्धालुओं को कुछ पलों के लिए ही मिलते हैं रामलला (Ramlala) के दर्शन
– रोजाना नहीं धुली जाती राम लला (Ram Lala) की ड्रेस, गंदी दिखने पर पुजारी ही धुलते हैं कपड़े

Satyendra Das statement in Ram lala temple arrangements

हमारे आपके कपड़े भले ही रोज धुलते हों, मगर रोज नहीं धुली जाती भगवान राम की पोशाक

अयोध्या . धार्मिक नगरी अयोध्या (Ayodhya) के विवादित स्थल पर मौजूद रामजन्म भूमि मंदिर (Ram Janmabhoomi Temple) के दर्शन भोग और पूजा की व्यवस्था तभी दिव्य होगी जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला मंदिर के पक्ष में आएगा। विवादित स्थल पर मौजूद रामलला मंदिर (Ramlala Temple) के प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास (Satyendra Das) ने इस मंदिर की व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। साथ ही कहा कि जितना धन ठाकुरजी की पूजा व व्यवस्था पर रिसीवर के आदेश पर मिलता है वह नाकाफी है। यहां तक कि रामजी की पोशाक कभी गंदी दिखने पर पुजारी लोग ही परिसर में उसे धुल लेते हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को लंबी दूरी तय करने के बाद कुछ पलों के लिए ही रामलला (Ramlala) की झलक देखने को मिलती है।
शुरुआत में 100 रुपए ही था मासिक पारिश्रमिक

प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास (Satyendra Das) का कहना है कि 26 साल की ठाकुरजी की सेवा के दौरान अब 12 हजार रुपये महीना पारिश्रमिक मिल रहा है। जब उन्होंने ठाकुरजी (Thakur Ji) की सेवा शुरू की थी तब 100 रुपये पारिश्रमिक मिलता था। उनका कहना है कि महंगाई के दौर में इस अल्प वेतन से उनका और अन्य कर्मचारियों का काम नहीं चल पा रहा है। पुजारी सत्येंद्र दास (Satyendra Das) ने बताया कि मंदिर की व्यवस्था में उनको शामिल करके कुल 9 सहयोगी हैं। इसमें 4 सहायक पुजारी व 4 कर्मचारी हैं। सबके वेतन भी अलग-अलग हैं। सहायक पुजारियों को साढ़े सात हजार रुपये मासिक दिया जा रहा है, जबकि कर्मचारियों को मासिक छह-छह हजार रुपये का भुगतान हो रहा है।
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93 हजार रुपए मिलता है महीने का खर्च

पुजारी सत्येंद्र दास (Satyendra Das) के मुताबिक रामजन्म भूमि मंदिर में मासिक औसत करीब 6 लाख रुपये का चढ़ावा श्रद्धालु चढ़ाते हैं, लेकिन मंदिर की व्यवस्था पर केवल 93 हजार रुपये मासिक (93 Thousand Per Month) ही खर्च किया जाता है। उनका कहना है कि विवादित परिसर के रिसीवर अयोध्या के कमिश्नर मनोज मिश्रा (Ayodhya Commissioner Manoj Mishra) हैं। उनसे खर्च में बढ़ोत्तरी की मांग पर बस एक ही जवाब मिलता है कि कोर्ट के आदेश की सीमाओं में रह ही खर्च की राशि बढ़ाने का अधिकार है। 4 हजार रुपये से ज्यादा सालाना बढ़ोतरी नहीं कर सकते।
साल में एक बार बनते हैं रामलला के कपड़े

प्रधान पुजारी के मुताबिक रामनवमी (Ramnavmi) के अवसर पर हर साल रामलला (Ramlala) के लिए सर्दी और गर्मी के मौसम के हिसाब से अनुसार 7-7 सेटों में ड्रेस तैयार करवाई जाती है। इन्हीं को साल भर बदल-बदल कर पहनाया जाता है। रोजाना ड्रेस की धुलाई भी नहीं की जाती। कभी गंदी दिखने पर पुजारी लोग ही परिसर में धुल लेते हैं। कपड़ों और रामनवमी (Ramnavmi) में 9 दिनों तक पूजा अर्चना भोग के लिए 52 हजार रुपये का फंड अतिरिक्त मिलता है। इसमें 3600 रुपये तो सात सेट ड्रेस की सिलवाई पर खर्च होते है। पुजारी सत्येंद्र दास (Satyendra Das) ने कहा कि जितना धन राम नवमी के नाम पर मिलता है। उसी में राम जन्मोत्सव (Ram Janmotsav) पर व्यवस्था करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि रामलला (Ramlala) के कपड़े पिछली चार पीढ़ियों से टेलर मास्टर शंकर लाल श्रीवास्तव के यहां से सिले जा रहे हैं।
समय-समय पर खर्च में बढ़ोत्तरी

अयोध्या के कमिश्नर और रामजन्म भूमि मंदिर के रिसीवर मनोज मिश्र (Manoj Mishra) हैं। सूत्रों के मुताबिक मंदिर की व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए कमिटी बनी है। इसमें वरिष्ठ अधिकारियों के मंदिर के पुजारी भी सदस्य है। करीब 10 साल के अंतर में मंदिर का टेंट बदला जाता है। वॉटर और फायर प्रूफ यह टेंट विशेष केमिकल के साथ रुड़की (Rurki) का संस्थान तैयार करता है, जिस पर 12 लाख रुपये का खर्च आता है। कमिटी समय-समय पर व्यवस्था पर समीक्षा कर खर्च में बढ़ोतरी करती है।
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