scriptराम मंदिर निर्माण में लगाए जा रहे लाल पत्थरों का रहस्य | secret of red stones being used in the construction of Ram temple | Patrika News

राम मंदिर निर्माण में लगाए जा रहे लाल पत्थरों का रहस्य

locationअयोध्याPublished: May 27, 2022 08:03:23 pm

Submitted by:

Satya Prakash

राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर राजस्थान के पिंक सैड स्टोन से सितंबर 1990 से शुरू हुई थी मंदिर निर्माण कार्यशाला

राम मंदिर निर्माण में लगाए जा रहे लाल पत्थरों का रहस्य

राम मंदिर निर्माण में लगाए जा रहे लाल पत्थरों का रहस्य

अयोध्या. राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 90 की दशक में बनाई गई योजना पर ही मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। यानी 40 वर्ष पहले ही राजस्थान के पिंक सैंड स्टोन को लगाये जाने की योजना बनाई गई थी। और देश जाने माने पत्थरों के विशेषज्ञ व आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोनपुरा ने सोमनाथ मंदिर के तर्ज पर बनाये जाने की राय पर राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे दिवंगत महंत रामचंद्र परमहंस दास, दिवंगत गोरखपीठाधीश्वर अवैद्यनाथ जी महाराज, स्वर्गीय अशोक सिंघल, ओमकार भावे सहित कई अन्य लोगो ने इस पत्थरों के नक्काशी कराए जाने पर सहमति बनी थी।
संतो के निर्णय पर हो रहा मंदिर का निर्माण

9 नवंबर 2019 में मंदिर निर्माण के पक्ष में आए फैसले के बाद जब मंदिर निर्माण की तैयारी शुरू हुई तो श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर को हजारों वर्ष तक सुरक्षित रखे जाने की मापदंड को लेकर पत्थरों की जांच कराई गई। पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद मंदिर निर्माण की तैयारी को शुरू कर दिया गया। और इस बीच राम भक्तों और संत समाज के भव्य मंदिर निर्माण की मांग को लेकर मंदिर के डिजाइन में परिवर्तन किया गया। लेकिन राजस्थान के पिंक सैंड स्टोन को भी रखा गया। आज उन्हीं पत्थरों पर नक्काशी किए जाने के साथ ही अब मंदिर के निर्माण कार्य प्रारंभ होने जा रहा है।
मंदिर निर्माण के लिए चुना गया पिंक सैंड स्टोन

राजस्थान के भरतपुर में पाए जाने वाला पत्थर है। विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि राम जन्मभूमि पर जो पत्थर लग रहा है वह पिंक सैंड स्टोन है। जो हल्का गुलाबी रंग का होता है जो बंसी पहाड़पुर राजस्थान में मिलता है यह कच्चा पत्थर होता है पर नक्काशी बड़े ही सरलता से की जा सकती है दूसरी बात यह है कि जितने अधिक पानी की बौछार इन पत्थरों पर पड़ेगा उतने ही ज्यादा पत्थरों की चमक बढ़ेगी। तो वही कहा कि लेबोरेटरी जांच के दौरान इस पत्थर की आयु 1000 साल से अधिक पाई गई है यह पत्थर कठोर नहीं है जिसके कारण से नक्काशी भी कारीगरों के द्वारा बहुत ही आसानी से किया जा रहा है। इसलिए मंदिर निर्माण के लिए इस पत्थर को चुना गया है।
राजस्थान के पत्थरों का है धार्मिक महत्व

आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि मंदिर निर्माण में लगने वाली लाल पत्थर बहुत ही महत्व और आकर्षक भी है। विशेष कर ग्रह दशाओं के अनुसार बहुत ही अनुकूल पत्थर है। हमें देखना पड़ेगा कि लाल पत्थर लगने से किन किन परिस्थितियों से निवारण मिलेगा।आपत्तियां नहीं आएंगी। किसी प्रकार का कोई अचानक दुर्घटना नही हो सकती। इसके साथ ही नौ ग्रहों के प्रकोप का भी इस पत्थर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए यह मंदिर लाल पत्थरों से बनाया जा रहा है। वही बताया कि मंदिर बहुत ही सुंदर और आकर्षण होगा और जहां तक इस मंदिर को दिखेगा उतनी दूरी से पत्थरों की चमक भी दिखाई देगी।
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