दरसल 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहित किए गए 67 एकड़ भूमि में लगभग 13 मंदिरों को भी अधिग्रहित किया गया था जहां पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूजन अर्चन की स्वीकृति दी गई थी लेकिन कुछ वर्षों के बाद इस व्यवस्था पर भी कोर्ट के द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया लगभग 28 वर्षों के बाद राम मंदिर के पक्ष में आए फैसले के बीच इन मंदिरों की हालत जर्जर स्थिति में तब्दील हो गई और अब मंदिर निर्माण के लिए इन मंदिरों को ढहा दिया गया। जिससे भगवान श्री राम का भव्य मंदिर का निर्माण किया जा सके तो वही इन मंदिरों में विराजमान भगवान की प्रतिमाओं को सुरक्षित रखे जाने के बाद अब 29 वर्षों के बाद राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा पूजन अर्चन की व्यवस्था बनाई गई है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव champat Rai ने अधिग्रहित मंदिरों की जानकारी देते हुए बताया कि 1993 में अधिग्रहित किए गए 70 एकड़ भूखंड में सीता रसोई, रामचरित्र मानस भवन, कोबर भवन, राम खाजाना, आनंद भवन और साक्षी गोपाल इन मंदिरों का भी अधिग्रहण हुआ था और मंदिरों में तो मूर्तियां रहती हैं यह सभी स्थान राम मंदिर के परकोटे के अंदर आ रहे थे सीता रसोई ठीक मंदिर के परकोटे पर है। साक्षी गोपाल मंदिर के अंदर है रामचरित्र मानस भवन का आधे से ज्यादा हिस्सा जहां से मंदिर प्रवेश के लिए सीढ़ियां शुरू होंगी इसलिए इन सभी मंदिरों को वहां से हटाना जरूरी था कोबर भवन, राम खजाना, आनंद भवन और सीता रसोई जो जरूरत से ज्यादा जर्जर हो चुके थे और कई मंदिरों का एक बड़ा हिस्सा गिर भी चुका था इसलिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भी उस दोनों को हटाना आवश्यक था । उन मंदिरों के अंदर जो भी देव प्रतिमाएं थी उन सभी को वही सुरक्षित रखा गया था और अब आवश्यक लगा उनको वहां से ले आए। इसलिए उनको आज कार्यसेवकपुरम ले आए इनमें जो मूर्तियां अच्छी सुंदर थी उनको कारसेवक पुरम के यज्ञशाला में बहुत ही अच्छे ढंग से लगवा दिया है। यहां पर दोनों समय पूजा पाठ किया जाता है। वहां अन्य शेष और भी प्रतिमाएं हैं जिन्हें उचित स्थान पर उनको स्थापित कराया जाएगा। यह तत्कालीन व्यवस्था है राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण और परिसर का विस्तार पूर्ण कर लिया जाएगा उसके बाद परिस्थिति के मुताबिक इन प्रतिमाओं स्थापित किए जाने पर विचार किया जाएगा।