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बाबरी के पक्षकार और निर्मोही अखाड़े ने कहा कोर्ट सुनाये फैसला अब मध्यस्थता की ज़रुरत नही

locationअयोध्याPublished: Sep 18, 2019 03:28:35 pm

खबर के मुख्य बिंदु –
– सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर तक जिरह पूरी करने के दिए हैं निर्देश,अगले चार हफ्ते में आ सकता है फैसला
– अयोध्या के संतों ने सुप्रीम कोर्ट के रुख पर जताई ख़ुशी कहा जल्द ही आएगा फैसला
– सुन्नी वक्फ बोर्ड की पुनः मध्यस्थता की चिट्ठी को निर्मोही अखाड़ा और संतों ने नकारा
– बाबरी के मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा अब कोर्ट सुनाये अपना फैसला मध्यस्थता से नही है कोई फायदा

अनूप कुमार

अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट में चल रहे बाबरी मस्जिद राम मन्दिर केस की नियमित सुनवाई के बीच जहां कोर्ट के रवैये से अब जल्द ही इस मामले के फैसले की उम्मीद जगी है वहीँ इस मुकदमे के दुसरे पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फिर से मध्यस्थता के जरिये मामला सुलझाने का राग अलापा है | मुस्लिम पक्ष के इस नए पैंतरे पर अयोध्या में हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों से जुड़े लोगों ने प्रतिक्रिया दी है | जिसमे दोनों सम्प्रदाय के लोगों ने अब किसी मध्यस्थता से किसी हल की उम्मीद न जताते हुए कोर्ट से अपील की है कि वह अब इस मामले पर अपना फैसला दे |
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार की सुनवाई में कह दिया है कि 18 अक्टूबर तक सभी जिरह पूरी कर लें ऐसे में अयोध्या के संतों ने खुशी जताई है। वहीँ सुन्नी वक्फ बोर्ड के मध्यस्थता से जुड़े पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष मध्यस्था चाहते हैं तो कोर्ट को अवगत कराएं। खुद मुख्य न्यायाधीश मध्यस्था करेंगे लेकिन अयोध्या के संतो ने मध्यस्थता को सिरे से नकार दिया है। संतों का कहना है कि अब मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।अब सुप्रीम कोर्ट फैसला दे।
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अयोध्या मे तपस्वी छावनी के स्वामी परमहंस दास ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जो पैनल गठित हुआ है वो 18 अक्टूबर तक दलील पूरी करने के निर्देश दिए हैं। निश्चित रूप से पूरे देश के लिए बहुत बड़ी खुशी का विषय है। अब मध्यस्था की चर्चा नहीं होनी चाहिए क्योंकि मध्यस्थता के लिए बहुत पहले प्रयास किया चुका है उसे कोई समाधान नहीं निकला। सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं पैनल का गठन किया था इसके बाद भी जब मेडिएशन से कोई बात नहीं बनी तब नियमित सुनवाई शुरू हुई। अब सर्वोच्च न्यायालय साक्ष्यों के आधार पर फैसला करने वाला है यही संतों को स्वीकार है। अब भगवान राम का टेंट में रहना बेहद दुखद है क्योंकि अनंत काल तक भगवान राम को टेंट में रखना अच्छा नहीं है और इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट गंभीर हो गया है और सन्त सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से स्वागत करते हैं।
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राम मंदिर बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दोबारा मध्यस्था के सवाल व 18 अक्टूबर तक सभी पक्षकारों के वकीलों से जिरह पूरी करने के मामले पर हिंदू पक्षकार महंत रामदास ने कहा कि 18 अक्टूबर तक राम मंदिर बाबरी मस्जिद मामले के जिरह पूरी होने का स्वागत है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगर दोबारा मध्यस्था की बात कर रहा है तो अच्छी बात है हर संवैधानिक फैसला मुझे मंजूर है। जो फैसला दे सुप्रीम कोर्ट ही दे।उन्होंने कहा कि मामले की नियमित सुनवाई चल रही है और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर जल्द फैसला दे देना चाहिए यही राष्ट्र हित में है और यही समाज हित में है।
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मुस्लिम पक्षकार इक़बाल अंसारी ने भी दुबारा मध्यस्ता पर सवाल उठाया है उन्होंने कहा की जो भी फैसला आये वो सुप्रीम कोर्ट से ही आये वहीँ निर्मोही अखाडा कि अयोध्या शाखा के महंत दिनेंद्र दास ने भी कहा की अब दुबारा मध्यस्ता की जरुरत नहीं है | दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्ष अगर मध्यस्थता फिर से चाहते हैं तो कोर्ट को अवगत कराएं। खुद मुख्य न्यायाधीश इस मामले में मध्यस्थता करेंगे। वैसे भी 18 अक्टूबर तक मामले की सारी जिरह पूरी हो जाएगी ।
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