श्री राम जन्मभूमि विवादित परिसर में विराजमान रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अगर दावा ही वापस लेना था तो पहले क्यों नहीं लिया ,जब सुलह समझौते की बात चल रही थी | उस समय भी प्रयास किया गया था कि आपसी सौहार्द बनाए रखते हुए उस भूमि पर रामलला का अधिकार स्वीकार करते हुए मुस्लिम पक्ष अपना दावा वापस ले ले | लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया था आखिर आज यह हलफनामा देने से क्या फर्क पड़ने वाला है | फिर भी अगर उन्हें लगता है कि मुकदमा वापस लेना चाहिए तो यह अच्छी बात है हम इसका स्वागत करते हैं | लेकिन इसके बदले में किसी समझौते की बात नहीं होनी चाहिए यह सभी को पता है कि गवाहों और सबूतों के आधार पर अब फैसला रामलला के पक्ष में ही होने वाला है ऐसे में इस मुकदमे पर हर हाल में निर्णय आना चाहिये |
वही बाबरी मस्जिद मुकदमे के अहम् पक्षकार इकबाल अंसारी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि मुकदमा वापस लेने की जानकारी उन्हें मीडिया से ही हुई है | अगर ऐसा होता भी है तो यह सुन्नी वक्फ बोर्ड का निर्णय है | हम शुरू से कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय देगा हम उसे स्वीकार करेंगे चाहे जो भी हो और इसके अलावा किसी और बात पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए | रही बात आपसी सौहार्द की तो अयोध्या में हमेशा प्रेमभाव रहा है और यहां आपसी सौहार्द कायम रहेगा और मुझे विश्वास है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार है सब कुछ अच्छा चल रहा है और कहीं कुछ गड़बड़ नहीं होने वाली | सरकार की नजर उन पर भी है जो गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं और उन पर भी है जो शांति व्यवस्था बहाल कर रहे हैं |