हिन्दू धर्म की मान्यता और शास्त्रों के अनुसार राहु केतु ग्रहण के दौरान भगवान भास्कर को पीड़ा पहुंचाते हैं | जिसके लिए अयोध्या की कई मंदिरों व सरयू के किनारे भी जगह-जगह अनुष्ठान किए गए।उसी कड़ी में नाका हनुमानगढ़ी में भी भगवान भास्कर की पीड़ा को कम करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ व हवन पूजन हुआ। इसके साथ ही अनुष्ठान के बाद भगवान के विग्रह को चरणामृत से स्नान करवाया गया और फिर उन्हें नए वस्त्र पहनाए गए। ग्रहण के दौरान भगवान भास्कर की पीड़ा के साथ-साथ प्राणियों को भी इसका असर पहुंचता है जिसके लिए राम नाम जप व हनुमान चालीसा का पाठ सूर्य स्त्रोत भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मोक्ष के बाद लोगों ने सरयू में स्नान के दान पुण्य किया। इस तरह के धार्मिक आयोजन धार्मिक नगरी के अन्य मंदिरों में भी किये जा रहे हैं |