scriptमथुरा विवाद पर विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का बड़ा बयान | VHP working president Alok Kumar's statement on Mathura dispute | Patrika News

मथुरा विवाद पर विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का बड़ा बयान

locationअयोध्याPublished: Dec 05, 2021 04:09:04 pm

Submitted by:

Satya Prakash

अयोध्या पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा देश में मस्जिद, गिरजाघर व चर्च को नहीं चलाती सरकार, तो मंदिर भी समाज को समर्पित कराने के लिए चलाएंगे अभियान

मथुरा विवाद पर विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का बड़ा बयान

मथुरा विवाद पर विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का बड़ा बयान

अयोध्या. राम मंदिर अब काशी विश्वनाथ के बाद अब मथुरा को लेकर विवाद शुरू हो गया है। और कई हिंदू संगठन के लोग 6 दिसंबर को मथुरा में आयोजन करने की तैयारी में हैं। तो ही विश्व हिंदू परिषद की कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने 2024 में मथुरा के विषय पर चर्चा करने की बात कही है।
राम मंदिर निर्माण के बाद होगी चर्चा

अयोध्या पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि राम मंदिर और काशी विश्वनाथ के बाद अब मथुरा को लेकर शुरू हुए विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमने यह तय किया है। कि जब तक रामलला को उनके जन्म स्थान के गर्भगृह पर विराजमान नही कर देते हैं तब तक बाकी विषयों पर विचार नहीं करेंगे और उसके बाद ही विचार किया जाएगा। तो वही इशारों में भी स्पष्ट कर दिया कि 2024 में इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा।
6 दिसंबर देश भर के लिए है बड़ा दिन : आलोक कुमार

वही अयोध्या में 6 दिसंबर को लेकर बताएं किया दिन देशभर के लिए बहुत बड़ा दिन है इसलिए हमारे बजरंग दल इसको शौर्य दिवस के के रूप में मनाते हैं कई कार्यक्रम भी करते हैं और जैसा हर वर्ष किया जाता है उसी तरह इस वर्ष भी किया जाएगा तो वही कहा कि 6 दिसंबर के दिन गीता जयंती थी और अच्छे दिसंबर होने के नाते इंपॉर्टेंट नहीं था उस दिन गीता जयंती पड़ती थी इसलिए गीता जयंती पर आयोजन करने का आग्रह कर रहे हैं।
सरकार के नियंत्रण से मंदिरों को मुक्त कराने के लिए विहिप चलाई गई अभियान

देश में बहुत सारे राज्य ऐसे हैं जहां हमारी मंदिर सरकार के नियंत्रण में है। वही कहा कि तमिलनाडु की बात की जाए तो वहां पर जो मंदिर सरकार के देखरेख में है उनका अपनी आमदनी का 16% सरकार के खजाने में जमा करना पड़ता है प्रशासनिक व्यय के नाम से और उसी में 4% तक ऑडिट फीस भी देना होता है। और यदि सरकार कहे कि अब मंदिर ठीक नहीं चल रहा है। तो वहां पर एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ के नाम से बैठा देते हैं उसकी वेतन भी मंदिर को देना होता है। आज मंदिरों का तेज कम हो रहा है। इसलिए उन राज्यों की सरकारों से भी कहा है। संतो से भी चर्चा की है। इसके लिए एक इंडिपेंडेंट स्ट्रक्चर डिवेलप हो या केंद्रीय कानून से हिंदू समाज के मंदिर हिंदुओं को वापस मिल जाए। सरकार मस्जिद, गिरजाघर व चर्च नहीं चलाती तो सरकार का काम मंदिर चलाने का भी नहीं है। इसलिए मंदिर समाज को वापस करें इसके लिए भी हम अपना अभियान तेज करेंगे।
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