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फैजाबाद संसदीय सीट पर 9388 मतदाता ऐसे भी जो नही तय कर पाए की किसे देना है वोट

locationअयोध्याPublished: May 24, 2019 10:47:00 am

मतगणना के बाद सामने आये चौकाने वाले आंकड़े,आखिर क्या चाहते हैं 9388 मतदाता

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अनूप कुमार

अयोध्या : गुरुवार को हुई मतगणना में पूरे देश में एक बार फिर से पूर्ण बहुमत की बीजेपी सरकार बन गई | अब सिर्फ औपचारिकता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने बाकी रह गई है | इस चुनाव में सत्ता के विपक्ष में मतदान होने की अवधारणा भी बदलती नज़र आई | देश के विकास और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जमकर वोट बरसे ,लेकिन दिलचस्प बात यह भी है कि जहां एक तरफ मोदी नाम की सुनामी में विपक्षी दल उड़ गए और पूरे देश में एनडीए गठबंधन आम जनता की पहली पसंद बनकर उभरा | वहीं पूरे देश में एक बड़ा तबका ऐसा भी रहा जो मतदान करते वक्त तक यह तय नहीं कर पाया कि आखिरकार उसे वोट किसे करना है | उसके लिए कौन सा उम्मीदवार सही है या गलत और जाकर दबा दिया नोटा का बटन | पूरे देश की चर्चा के साथ हम आपको बता रहे हैं कि फैजाबाद संसदीय सीट पर कितने ऐसे मतदाता रहे जो आखिरी वक्त तक यह नहीं तय कर पाए कि उनके लिए कौन सा उम्मीदवार बेहतर है और कौन उनके लिए काम कर रहा है | उन्होंने किसी भी उम्मीदवार पर अपना विश्वास नहीं जताया और जाकर के नोटा के बटन को टीप दिया |
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मतगणना के बाद सामने आये चौकाने वाले आंकड़े,आखिर क्या चाहते हैं 9388 मतदाता
फैजाबाद संसदीय सीट पर गुरुवार की शाम कुल 10 87121 मतों की गणना हुई ,जिसमें समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आनंद सेन यादव को चार 463544 वोट मिले | वही कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री को 53386 मत मिले और इस संसदीय सीट पर एक बार फिर से बड़े वोट पाने के साथ 52 9021 मत पाकर लल्लू सिंह विजेता बने | इसके अलावा 10 अन्य निर्दल प्रत्याशियों को भी 500 से लेकर 3000 के बीच वोट पड़े | लेकिन दिलचस्प आंकड़ा यह भी है कि फैजाबाद संसदीय सीट पर 9388 ऐसे मतदाता थे जिन्हें ना ही सत्ता पक्ष का कामकाज पसंद आया ना ही उन्होंने विपक्षी किसी दल को सत्ता में लाने के लिए उन्हें वोट किया | आखरी वक्त तक पेशोपेश में रहने के बाद जाकर उन्होंने नोटा का बटन दबा दिया |
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देश के लोकतंत्र की दिखी खूबसूरत तस्वीर हर किसी को मिली अपने मन की करने की आज़ादी
अब सवाल यही उठता है कि 10 लाख के करीब पड़े मतों में नो हजार के लगभग ऐसे मतदाता जिन्होंने नोटा का प्रयोग किया आखिरकार ये क्या संदेश देना चाहते हैं | नोटा का प्रयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या इतनी भी नहीं है कि कुल पड़े मतों के प्रतिशत में 1% का भी आंकड़ा छू पाए | ऐसे में मतदाता नोटा का प्रयोग क्यों कर रहे हैं यह समझ से परे है |फिलहाल यह देश के लोकतंत्र की एक खूबसूरत तस्वीर है कि हर किसी को अपने मन की करने की आजादी है और यही वजह है कि ईवीएम में प्रत्याशियों के नामों के साथ नोटा नाम का भी एक बटन है जिसे दबाकर लोग अपनी नाराजगी भी जता रहे हैं | फिलहाल नतीजे आ चुके हैं और एक बार फिर मोदी सरकार का नारा एनडीए साकार कर चुकी है | अब हर किसी को यही उम्मीद है कि पुरानी सरकार नए सिरे से देश के विकास के लिए काम करेगी |
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