बता दें कि गांव के लोगों को सारी सुविधा गांव में ही उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने पंचायत भवन में ही सारी सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इसके तहत हर गांव में पंचायत सदस्य तैनात किये जा रहे हैं। पंचायत सहायकों को एक साल के लिए संविदा पर रखा जाएगा।
इसके लिए प्रतिमाह छह हजार रुपये मानदेय निर्धारित किया गया है।पंचायत सहायकों की भर्ती में सरकार ने यह नियम लागू किया है कि जिस अभ्यर्थी का पंचायत सहायक पद के लिए नियुक्ति होगी। उस अभ्यर्थी के परिवार का कोई भी सदस्य प्रधान, पंचायत सदस्य आदि के पद पर नहीं होना चाहिए। वहीं तमाम ग्राम पंचायत सदस्य अपनों को पंचायत सहायक बनाना चाहता है।
अपने पुत्र अथवा पुत्री को पंचायत सहायक बनाने की कोशिश में जुटे 44 पंचायत सदस्यों ने त्यागपत्र दे दिया है। ऐसे में सदस्यों ने सोचा कि पद पर रहने से कोई फायदा नहीं है, कम से कम बेटी या बेटा नौकरी पाएंगे तो आर्थिक तंगी दूर होगी। उनके आगे पढ़ने और बढ़ने का रास्ता भी साफ होगा।
यही कारण है कि जुलाई माह से अब तक कुल 44 ग्राम पंचायत सदस्य अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। जिले के 22 ब्लाक में कुल 1858 ग्राम पंचायत हैं। जिसमें 26866 पद ग्राम सदस्य चुने गए हैं। अभी और भी पंचायत सदस्यों के त्यागपत्र देने की संभावना है।
खास बात है कि बेटी या बेटे को नौकरी दिलाने के उद्देश्य से 44 सदस्यों ने इस्तीफा तो दिया है, लेकिन डीपीआरओ आफिस में सौंपे गए प्रार्थना पत्र में पद छोड़ने का वजह नौकरी नहीं दर्शाए हैं। विभाग द्वारा गोपनीय जांच करवाए जाने पर यह कारण उजागर हुआ है। कर्मचारियों के मुताबिक इस पद पर नियुक्ति को लेकर गांव में तनातनी भी चल रही है। कहीं प्रधान, बीडीसी तो कहीं प्रधान और महाप्रधान के बीच तनातनी देखने को मिल रही है।