बता दें कि धान और गेंहू पूर्वांचल की मुख्य फसल है। केवल आजमगढ़ में 4 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल पर धान की खेती होती है। समय से पहले अति वर्षा के कारण फसल गलने से इस बार धान का उत्पादन कम हुआ है जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसान बिचैलियों के उत्पीड़न का शिकार न हों इसके लिए सरकार द्वारा आजमगढ़ में 67 क्रय केंद्र स्थापित किये गए है। यही नहीं किसानों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है लेकिन जागरूकता के आभाव व हेल्पलाइन नंबर का प्रचार प्रसार न होने के कारण कम किसान ही इसके बारे में जानते हैं।
हालत यह है कि क्रय केंद्रों पर खुलेआम मनमानी शुरू हो गयी है। पहले तो किसानों को नंबर देने में आनकानी हो रही है। अगर किसान किसी तरह नंबर हासिल भी कर ले तो सेंपल में कमियां निकालकर उसे धान ओसवाने, सुखाने, धान की प्रजाति मोटी होने का बहाना बनाकर उसका उत्पीड़न किया जा रहा है। परिणाम है कि छोटे किसान जिन्हें 10-20 कुंतल धान बेचना है वे क्रय केंद्र के नखरे उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। रबी की खेती करनी है तो उत्पाद बेचना भी इनकी मजबूरी है। परिणाम है कि ये बिचैलियों और स्थानीय कारोबारियों की मदद ले रहे हैं जो इनका धान 12 सौ रूपये कुंतल खरीद रहे हैं। किसान करे तो करे क्या। मजबूरी में अपना उत्पाद औने पौने दाम में बेच रहा है।
हालत यह है कि किसान लुट रहा है और बिचैलिये मालामाल हो रहे है। इस मामले में आरएफसी राजेश कुमार का कहना है कि हर क्रय केंद्र पर उच्चधिकारियों का नंबर अंकित कराया गया है। अगर कहीं भी किसान का उत्पीड़न होता है तो वह सीधे फोन पर शिकायत कर सकता है। इसके अलावा सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। शिकायत मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
BY Ran vijay singh