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सरकार ! कैसे दूनी होगी आय, जब 12 सौ रूपये कुंतल बिकेगा ए ग्रेड धान

locationआजमगढ़Published: Nov 30, 2020 07:59:17 am

क्रय केंद्रों पर भंडारण की अच्छी व्यवस्था का आभाव किसानों पर पड़ रहा भारी
जगह का आभाव बताकर क्रय केंद्र प्रभारी नहीं खरीद रहे धान
किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे बिचैलियों, 12 रूपए कुंतल खरीद रहे ए ग्रेड धान

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धान क्रय केंद्र

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. केंद्र व प्रदेश की सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दूना करने का दावा कर रही है लेकिन किसान समस्याओं की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। किसान धान का उत्पादन करने के बाद रबी की बोआई में जुटा है। जरूरत पूरी करने के लिए धान बेचना उसकी मजबूरी है लेकिन सरकार द्वारा बनाये गए क्रय केंद्रों पर धान खरीदने के लिए अधिकारी तैयार नहीं है। दावा है कि उनके पास गोदाम ही नहीं है। स्टाक किया हुआ धान बिकेगा तब आगे की खरीदारी होगी। इसका पूरा फायदा बिचैलिये उठा रहे है। वे किसानों का ए-ग्रेड धान भी 1200 रूपये कुंतल खरीद रहे हैं। खास बात है कि फिर उस धान को वे सरकारी क्रय केंद्रों पर अपने खास किसानों के नाम से बेंच रहे हैं। अधिकारी भी इनका धान खरीदने में प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर मालामाल बिचैलिए हो रहे है तो किसानों की आय दूनी कैसे होगी।

बता दें कि धान और गेंहू पूर्वांचल की मुख्य फसल है। केवल आजमगढ़ में 4 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल पर धान की खेती होती है। समय से पहले अति वर्षा के कारण फसल गलने से इस बार धान का उत्पादन कम हुआ है जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसान बिचैलियों के उत्पीड़न का शिकार न हों इसके लिए सरकार द्वारा आजमगढ़ में 67 क्रय केंद्र स्थापित किये गए है। यही नहीं किसानों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है लेकिन जागरूकता के आभाव व हेल्पलाइन नंबर का प्रचार प्रसार न होने के कारण कम किसान ही इसके बारे में जानते हैं।

हालत यह है कि क्रय केंद्रों पर खुलेआम मनमानी शुरू हो गयी है। पहले तो किसानों को नंबर देने में आनकानी हो रही है। अगर किसान किसी तरह नंबर हासिल भी कर ले तो सेंपल में कमियां निकालकर उसे धान ओसवाने, सुखाने, धान की प्रजाति मोटी होने का बहाना बनाकर उसका उत्पीड़न किया जा रहा है। परिणाम है कि छोटे किसान जिन्हें 10-20 कुंतल धान बेचना है वे क्रय केंद्र के नखरे उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। रबी की खेती करनी है तो उत्पाद बेचना भी इनकी मजबूरी है। परिणाम है कि ये बिचैलियों और स्थानीय कारोबारियों की मदद ले रहे हैं जो इनका धान 12 सौ रूपये कुंतल खरीद रहे हैं। किसान करे तो करे क्या। मजबूरी में अपना उत्पाद औने पौने दाम में बेच रहा है।

हालत यह है कि किसान लुट रहा है और बिचैलिये मालामाल हो रहे है। इस मामले में आरएफसी राजेश कुमार का कहना है कि हर क्रय केंद्र पर उच्चधिकारियों का नंबर अंकित कराया गया है। अगर कहीं भी किसान का उत्पीड़न होता है तो वह सीधे फोन पर शिकायत कर सकता है। इसके अलावा सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। शिकायत मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

BY Ran vijay singh

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