बता दें कि, वर्ष 2016 में होली के दिन निजामाबाद थाना क्षेत्र के खोदादादपुर में रंग फेंकने को लेकर दो समुदाय के बीच तनाव हुआ था, लेकिन इस घटना को पुलिस ने गंभीरत से नहीं लिया। परिणाम रहा की भीतर ही भीतर आग सुलगती रही 15 मई 2016 को सांप्रदायिक दंगा हो गया। इस दंगों में जहां आगजनी तोड़फोड़ हुई सीओ सदर को गोली लगने के घायल हो गए। दंगा इतना भयानक था कि, पैरा मिलिट्री की मदद लेने के साथ ही जिले में इंटरनेट सेवा कई दिन के लिए बंद करना पड़ा था।
इस दंगे का मुख्य आरोपी एआईएमआईएम का जिलाध्यक्ष कलीम जामई बनाया गया। कलीम सरायमीर थाने का हिस्ट्रीशीटर है, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया बल्कि उसके खिलाफ चार्जशीट बनाती रही। बाद में कहा गया कि, वह हैदारबाद ओवैसी की शरण में भाग गया है। पिछले डेढ़ साल से कलीम सरायमीर में खुलेआम घूम रहा था, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया।
इसी बीच 27 अप्रैल 2018 को फेसबुक पर पैगंबर के खिलाफ अभद्र टिप्पणी पोस्ट होने के बाद कलीम जामई और पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष ओबैर्दुहमान के नेतृत्व में लोगों ने थाने का घेराव किया। पुलिस ने मामला पंजीकृत कर पोस्ट करने वाले को जेल में भेज दिया। इसके बाद भी कलीम ने राजनीति चमकाने और पुलिस पर अपना दबाव कायम रखने के लिए अगले दिन थाने का फिर घेराव किया।
सीओ और एसडीएम ने उक्त लोगों के साथ बैठक कर आरोपी पर एनएसए लगाने की मांग पर विचार का आश्वासन दिया, लेकिन थोड़ी देर बाद थाने पर हमला कर दिया गया। ऐसा लगा कि, मानो यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा रहा हो। उपद्रव में सीओ और एसडीएम घायल हो गए।
थाने और पुलिस बूथे के साथ ही बैक एटीम में तोड़फोड़ की गई। यही नहीं बूथ में आगजनी की गई लेकिन पुलिस ने उस समय कलीम की गिरफ्तारी की बजाय खुद को बचाने पर ध्यान दिया। जबकि कलीम इस घटना के चार दिन पहले ही फेसबुक पर थानाध्यक्ष रामनरेश यादव के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर चुका था, खुद एसओ ने उनके खिलाफ एफआईआर कराई थी। अगर उसे उस समय गिरफ्तार किया गया होता तब भी हिंसा की नौबत नहीं आती।
इतनी बड़ी वारदात के दो दिन बाद पुलिस ने उस समय उसकी गिरफ्तारी का प्रयास शुरू किया। जब शासन और नए एसपी का दबाव पड़ा, लेकिन तब तक वह हैदराबाद ओवैसी की शरण में जा चुका था। पुलिस की माने तो उसकी गिरफ्तारी के लिए हैदराबाद टीम भेजी गई, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात वाला रहा। अब पुलिस लकीर पीट रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि, पुलिस रसूख वालों को हमेशा से संरक्षण देती रही है। यही वजह है कि, अब ये लोग समाज के साथ ही पुलिस के लिए भी सिरदर्द बन गए हैं।
by रणविजय सिंह