इफ्तेखार हुसैन ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल और पुलिस अधीक्षक को भेजे गए पत्र में आरोप लगाया है कि एहसान खान को धमकी से संबंधित प्राथर्ना पत्र 26 अक्टूबर को शहर कोतवाली में दिया गया लेकिन सीएम के आदेश के बाद भी अब तक रिपोर्ट पंजीकृत नहीं की गयी। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पूर्व मंत्री बलराम यादव और पूर्व मंत्री रामआसरे विश्वकर्मा से उनके जीवन को खतरा है। 12 दिसंबर से एहसान का मोबाइल बंद है और उनका कहीं पता है। परिवार के लोग और समर्थक अनहोनी के उर से सहमें हुए है लेकिन पुलिस है कि कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जिला प्रशासन मामले में हस्तक्षेप करे और मामले की जांच कराकर एहसान खान की बरामदगी सुनिश्चित करे।
उन्होंने कहा कि अलीगढ़ में छह साधुओं की हत्या और इन्हीं हत्या के आरोप में हुए नौशाद और मुस्तकीम के फर्जी एनकाउंटर को लेकर एहसान ने आवाज उठाई थी। 28 नवंबर को उन्होंने पूर्व डीआईजी वजीह अहमद के साथ स्व. साधू रामस्वरूप के घर गए थे। इसके बाद उन्होंने अतरौली स्थित नौशाद व मुस्तकीम के घर का दौरा किया। इसके बाद एहसान पर गवाहों को धमकाने का आरोप लगाते हुए कोर्ट से एनबीडब्ल्यू जारी कराया गया और 12 दिसंबर को उनके छित्तपुर व कोट मुहल्ला तथा लखनऊ आवास पर छापेमारी की गयी। 12 दिसंबर को हरदुआगंज थाने में एहसान के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज किया गया। यह सारी कवायद 13 दिसंबर को होने वाले घरने को रोकने के लिए की गयी। 12 दिसंबर की रात से ही एहसान खान गायब है। पुलिस को कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन पुलिस मनमानी कर रही है। यदि एहसान तत्काल बरामद नहीं हुए और पुलिस ने नियमानुसार कार्रवाई नहीं की तो वे उच्च न्यायालय जाएंगे।
By Ran Vijay singh