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इस मामले में अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र ने पीएम मोदी के क्षेत्र को पछाड़ दिया है

locationआजमगढ़Published: Oct 05, 2019 06:16:09 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

पीएम के संसदीय क्षेत्र से आगे निकला आजमगढ़ का रेलवे स्टेशन, वर्ष 2008 में शुरू हुए निर्माण आज तक नहीं हो सके पूरे, यात्री सुविधावों का भी है टोटा

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इस मामले में अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र ने पीएम मोदी के क्षेत्र को पछाड़ दिया है

आजमगढ़. क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा भारत वर्ष के सभी रेलवे स्टेशनों पर कराए गए सर्वे में अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र का रेलवे स्टेशन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के वाराणसी सेंट्रल व मडुआडीह रेलवे स्टेशनों को पछाड़कर देश में स्टेशन की स्वच्छता, उप्लब्ध यात्री सुविधाएं व सुविधाओं की गुणवत्ता तथा यात्रियों की प्रतिपुष्टि के मामले में 203वां स्थान प्राप्त किया है जबकि वाराणसी मंडल में उसे तीसरा स्थान मिला है। ट्रेन की संख्या के आधार पर आय के मामले में यह स्टेशन एक दशक से नंबर एक बना हुआ है लेकिन सरकार ने आज तक इसपर ध्यान नहीं दिया है। वर्ष 2008 में शुरू हुए तमाम निर्माण आज भी अधूरे है। निर्माण क्यों पूरा नहीं हो रहा, कैंटीन, अस्पताल कब चालू होंगे, पार्क में हरियाली कब आयेगी, प्लेटफार्म कब बनेगा यह बताने वाला कोई नहीं है।
बता दें कि देश भर के स्टेशनों पर 16 से 30 सितंबर तक स्वच्छता अभियान चलाया गया था। आल इंडिया के विभिन्न स्टेशनों पर स्वच्छता संबंधी क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया (क्यूसीआइ) द्वारा सर्वे कराया जाता है। क्यूसीआइ टीम को भारत सरकार अधिकृत करती है। इस बार स्वच्छता जांच के लिए क्यूसीआई टीम चार चरण तय किए थे। टीम की रिपोर्ट के मुताबिक यात्री सुविधाओं व स्वच्छता के मामले में पूर्वोत्तर रेलवे में आजमगढ़ को छठवां स्थान, डिविजन में तीसरा स्थान और पूरे भारत में 203वां स्थान मिला है। वाराणसी मंडल में पहला स्थान छपरा को, दूसरा सिवान को और तीसरा स्थान आजमगढ़ को मिला है। मंडल में इलाहाबाद, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, मऊ, मडुआडीह, वाराणसी आदि जैसे स्टेशनों को पीछे छोड़ते हुए आदर्श रेलवे स्टेशन ने यह मुकाम हासिल किया है। मंडल वाणिज्य निरीक्षक अखिलेश सिंह ने बताया कि यह आजमगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि है। वर्षो से स्टेशन ने आय के मामले में रिकार्ड कायम रखा है।
वहीं दूसरी तरफ जब सुविधाओं की बात होती है तो आज तक किसी सरकार ने इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया है। अगर स्टेशन ने यह मुकाम हासिल किया है तो उसके पीछे स्थानीय लोगों का प्रयास और यात्रियों की जागरूकता है। कारण कि इस स्टेशन पर आज भी एक अच्छा टायलेट तक नहीं है। वर्ष 1896 में अंग्रेजों द्वारा बनवाये गए इस रेलवे स्टेशन को छोटी लाइन से बड़ी लाइन बनने में सौ साल लगे थे। वर्ष 1990 में जार्ज फर्नाडीज रेलमंत्री बने तो आजमगढ़ के विजय नरायन राय उनके सेक्रेटरी बने। वर्ष इसी वर्ष जार्ज फर्नाडीज मऊ आये तो उन्होंने बलिया, मऊ, आजमगढ़, शाहगंज के बीच अमान परिवर्तन (बड़ी लाइन) की घोषणा की। बहरहाल यह मामला भी पांच वर्ष तक ठण्डे बस्ते में रहा। वर्ष 1996 में आजमगढ़ रेलवे स्टेशन बड़ी लाइन में परिवर्तित हुआ। इसके बाद लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, अमृतसर आदि महानगरों के लिए 11 जोड़ी ट्रेन दौडने लगी। रेलवे की आय करोड़ों में हो गयी तो स्टेशन को ए ग्रेड का दर्जा दे दिया गया लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ायी गयीं।
रेलवे परामर्श दात्री समिति पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के सदस्य सुरेश शर्मा का कहना है कि इस स्टेशन की वर्षो से उपेक्षा होती रही है। आखिर वर्ष 2008 में शुरू हुए निर्माण आज तक पूरे क्यों नहीं हुए। इसे जानना और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्या विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती लेकिन अधिकारी मौन है। यहां यात्री सुविधा का पूर्णतया आभाव है। आज तक इस स्टेशन को जो भी उपलब्धिया हासिल हुई तो उसके प्रमुख कारण यात्रियों की जागरूकता और स्थानीय स्तर पर किया गया प्रयास है। रेलवे तो पूरी तरह यहां की उपेक्षा कर रहा है।

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