बता दें कि वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव सपा के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से लड़े थे। उस समय अखिलेश यादव यूपी के सीएम थे। पार्टी की गुटबाजी का नतीजा था मुलायम सिंह की साख खतरे में पड़ गयी थी। उस समय निजामाबाद विधायक आलमबदी ने लखनऊ जाकर मुलायम को बता दिया था कि यही हाल रहा तो चुनाव हार जाएंगे। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अपने पूरे परिवार और दर्जनभर मंत्रियों को प्रचार में उतार दिया था। तब कही जाकर मुलायम सिंह 63 हजार मतों से चुनाव जीत पाए थे। उस समय खुद मुलायम ने कहा था कि अगर आजमगढ़ के नेताओं के भरोसे रहता तो चुनाव हार जाता।
इस बार भी स्थिति अलग नहीं है। पार्टी में गुटबाजी चरम पर है। पिछले बार से अगर कुछ अलग है तो इस बार गठबंधन है। सपा और बसपा का वोट मिलाकर पार्टी खुद को मजबूत स्थिति में पा रही है। लेकिन चुनौतियां पिछले चुनाव जैसी ही है। पूरी पार्टी को एक जुट करना शीर्ष नेतृत्व के लिए आसान नहीं है। यही वजह है कि शीर्ष नेतृत्व इस बार पहले से ही चेता दिख रहा है और चुनाव की पूरी कमान अपने हाथ में ले लिया है। अखिलेश के नामाकंन में कौन शामिल होगा, कौन लोग प्रस्तावक होंगे यह सारा फैसला उपर से ही लिया जा रहा है। यहां सिर्फ पर्चा खरीदने और भरने की जिम्मेदारी स्थानीय नेतृत्व को दी गयी है।
जिलाध्यक्ष हवलदार यादव के बयान से भी यह साफ हो रहा है कि स्थानीय नेतृत्व के हाथ में बहुत कुछ नहीं है बल्कि सारे फैसले उपर से ही लिए जा रहे हैं। इसके अलावा बसपा से कौन लोग नामाकंन में शामिल होंगे। होंगे भी या नहीं यह जिला इकाई को पता नहीं है।
सब मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस बार अखिलेश यादव और उनका कुनबा पुरानी गलती दोहराना नहीं चाहता। वहीं स्थानीय नेतृत्व है कि अपनी ढफली अपना राग अलाप रहा है। हर सवाल का एक जवाब है राष्ट्रीय अध्यक्ष का मामला है फैसला उपर से आने पर जानकारी दी जायेगी। गुटबाजी हाल में उस समय और बढ़ गयी जब पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव के भतीजे प्रमोद यादव को पार्टी में शामिल कराया गया। प्रमोद यादव की इंट्री दुर्गा यादव के परिवार को विल्कुल नहीं भा रही है। कमी प्रमोद ने जिलाध्यक्ष की बहू मीरा यादव की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी छीनने का भी प्रयास किये थे इससे अध्यक्ष से भी उनका मनमोटाव जग जाहिर है। प्रमोद की वापसी का पूरा श्रेय पूर्व मंत्री बलराम यादव को दिया जा रहा है जिनका दुर्गा और हवलदार से छत्तीस का आंकड़ा है।
BY- RANVIJAY SINGH