बता दें कि अखिलेश यादव की सरकार के दौरान शहर में लगभग 71 करोड़ रुपये की लागत से भूमिगत केबल बिछाई गई थी। आज तक सभी संबंधित क्षेत्रों में समुचित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी है। यहां तक कि उस समय लोड कम करने के लिए बना पावर हाउस भी बेकार पड़ा है। इसकी भूमिगत केबिल कहां भष्ट है इंजीनियर भी आज तक नहीं खोज पाए।
जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने बदले जाने कुछ घंटे या कुछ दिन बाद ही ट्रांसफार्मर जल जाने और भूमिगत केबिल से सप्लाई शुरू न होने को गंभीरता से लिया है। इस संबंध में विद्युत विभाग के चीफ इंजीनियर और अधीक्षण अभियंता से रिपोर्ट मांगी गई थी। कई बार मौखिक व लिखित रूप से रिपोर्ट मांगी गई लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। अब परियोजना की जांच के लिए बिजली विभाग के सीएमडी को पत्र लिखा गया है। इससे विभाग में हड़कंप मचा है। वहीं राजनीतिक हलचल भी बढ़ गयी है। माना जा रहा है कि अगर इस मामले की सही ढंग से जांच हुई तो पूर्व ऊर्जा मंत्री के रिश्तेदार की गर्दन फंस सकती है। वैसे जब भूमिगत केबल बिछाई जा रही थी उस समय भी मानक की अनदेखी को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था लेकिन सत्ता के दबाव में मामले को दबा दिया गया था। अब डीएम के पहल के बाद लोगों में उम्मीद जागी है।
By Ran Vijay Singh