बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव सपा, बसपा, कांग्रेस के यूपी में अस्तित्व से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं बीजेपी के लिए भी यहां करो या मरो की स्थित है। कारण कि वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव है। वर्ष 2022 का लोकसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी निश्चित तौर पर लोकसभा चुनाव में फायदे में रहेगी। इसलिए सभी पूरी ताकत झोंक रहे है। यूपी की सत्ता हासिल करने में पूर्वांचल की 123 सीटें महत्वपूर्ण होने वाली है। यहां सपा ने सुभासपा सहित कई दलों से गठबंधन किया है तो बीजेपी निषाद पार्टी और अपना दल की मदद से बड़ी जीत हासिल करना चाहती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं पूर्वांचल की गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वहीं इलाहाबाद से केशव मौर्य का चुनाव लड़ना तय है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि पार्टी यदि चाहेगी तो वे भी चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. अभिषेक राय भी यह संकेत दे चुके हैं कि अखिलेश यादव आजमगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ सकते है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव वर्तमान में आजमगढ़ सीट से सांसद हैं। वर्ष 2012 में सपा ने आजमगढ़ में नौ विधानसभा सीटें जीती थी लेकिन मुबारकपुर मामूली अंतर से हार गयी थी। पिछले चार चुनाव से यह सीट बसपा लगातार जीत रही है। जबकि यहां एक लाख से अधिक मुस्लिम हैं।
वहीं दूसरी तरफ यह सीट 2022 में शिवपाल यादव मांग रहे हैं। सपा से भी पूर्व मंत्री चंद्रदेव राम यादव करैली, अखिलेश यादव टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर विवाद भी बढ़ने की संभावना है। सपा सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव मुबारकपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसके अलावा सदर सीट से भी उन्हें उतारा जा सकता है। पार्टी का मानना है कि अखिलेश के यहां से चुनाव लड़ने से दोहरा फायदा होगा। एक तरफ वे योगी के इफेक्ट को कम करेंगे तो दूसरी तरफ सपा के पास आजमगढ़ में क्लीन स्वीप का मौका होगा जो पार्टी 2012 में नहीं कर पाई थी।