scriptनिकाय चुनाव से पहले अखिलेश यादव की बढ़ी टेंशन, शिवपाल गुट ने बढ़ाई परेशानी | Akhilesh yadav on backfoot before Municipal election in Azamgarh news in Hindi | Patrika News

निकाय चुनाव से पहले अखिलेश यादव की बढ़ी टेंशन, शिवपाल गुट ने बढ़ाई परेशानी

locationआजमगढ़Published: Sep 03, 2017 05:12:00 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

निकाय चुनाव अखिलेश के लिए अग्नि परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है लेकिन पार्टी की गुटबंदी अखिलेश के मंसूबों पर भारी पड़ती दिख रही है।

Akhilesh yadav

अखिलेश यादव

रणविजय सिंह की रिपोर्ट

आजमगढ़. यूपी चुनाव में करारी हार के बाद सपा मुखिया संगठन को धार देने में जुटे हैं। आगामी निकाय चुनाव अखिलेश के लिए अग्नि परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है लेकिन पार्टी की गुटबंदी अखिलेश के मंसूबों पर भारी पड़ती दिख रही है। खासतौर पर शिवपाल खेमा हर हाल में अखिलेश खेमे को नीचा दिखाने में लगा है।
30 अगस्‍त को अखिलेश यादव की आजमगढ़ यात्रा से ठीक पहले शिवपाल यादव ने अखिलेश के करीबी जिलाध्‍यक्ष हवलदार यादव से मुलायम सिंह यादव के प्रतिनिधि की जिम्‍मेदारी छीन ली और अपने करीबी पूर्व जिलाध्‍यक्ष राम दर्शन यादव को आजमगढ़ सांसद मुलायम सिंह यादव का प्रतिनिधि बना दिया। इससे एक बार फिर पार्टी की कलह खुलकर सामने आ गयी है।
आने वाले दिनों में निकाय चुनाव है। मुलायम का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में दो नगरपालिका और 11 नगरपंचायत अध्‍यक्ष सीटे हैं। पिछले चुनाव में नगर पंचायतों में सपा का प्रदर्शन काफी अच्‍छा रहा था। मुलायम सिंह से अध्‍यक्ष पद छीनने के बाद अखिलेश के लिए आजमगढ़ में बेहतर प्रदर्शन का दबाव है। विधानसभा चुनाव में 2012 का प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रहे अखिलेश अब निकाय चुनाव में यह साबित करने का प्रयास कर रहे है कि आजमगढ़ में उनका प्रभाव मुलायम से कम नहीं है। यही वजह है कि उन्‍होंने 30 अगस्‍त को शहीद की शहादत पर आयोजित समारोह को भी राजनीतिक बनाने में कोई गुरेज नहीं की और कार्यकर्ताओं को संगठित करने का प्रयास किया।
लेकिन उनकी राह में अंतर्कलह सबसे बड़ी बाधा दिख रही है। जिला अध्‍यक्ष हवलदार यादव की बहू जिला पंचायत अध्‍यक्ष है और निकाय चुनाव के पहले ही इनके खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने की तैयारी है। अविश्‍वास प्रस्‍ताव सपा सरकार के पूर्व मंत्री दुर्गा यादव के भतीजे लाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि भाजपा के अलावा उन्‍हें सपा के दूसरे गुट का साथ मिल सकता है। ऐसा हुआ तो चुनाव के पहले सपा को बड़ा झटका लग सकता है।
वहीं जिला अध्‍यक्ष पद को लेकर अंदर खाने लड़ाई साफ दिख रही है। आने वाले समय में लोकसभा चुनाव भी है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि यदि सपा के लोग इसी तरह आपसी लड़ाई में उलझे रहे तो उनके लिए भाजपा से पार पाना आसान नहीं होगा। कारण कि पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यहां से बामुश्किल जीते थे। इस बार उनके लड़ने की संभावना नहीं के बाराबर है और सपा के लिए उनके कद का नेता ढूंढना नामुमकिन है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो