मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही सपाई यह दावा करते रहे हैं कि आजमगढ़ के विकास की हर ईंट पर समाजवादी पार्टी का नाम लिखा है। यह दावा आज भी किया जाता है। अखिलेश यादव ने वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव ‘काम बोलता है’ के नारे के साथ लड़ा था। उस समय पूरे यूपी में बीजेपी की लहर थी। भाजपा ने पूर्वांचल में सपा-बसपा को बुरी तरह पराजित किया और 325 सीट जीतने में सफल रही थी। उस समय भी आजमगढ़ के लोगों ने बीजेपी के बजाय सपा को तरजीह दी और 10 में से पांच विधानसभा सीटें सपा के खाते में गईं। चार सीट बसपा और एक सीट बीजेपी ने जीती।
यह भी पढ़ें
दिल्ली परिणाम से बेवजह ही खुश नहीं हैं अखिलेश यादव, यूपी में लागू करेंगे केजरी फॉर्मूला
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश ‘काम बोलता है’ के नारे के साथ मैदान में उतरे। जिले की जनता इस उम्मीद के साथ उनके साथ खड़ी हुई कि जनपद का विकास होगा लेकिन चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव सिर्फ दो बार आजमगढ़ आए और मात्र 24 घंटे 35 मिनट आजमगढ़ में रहे। आजमगढ़ में उन्होंने अपना कोई स्थाई प्रतिनिधि भी नियुक्त नहीं किया। अभी दो दिन पूर्व अखिलेश ने पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव को प्रतिनिधि बनाया है इसके बाद भी कोई विकास कार्य शुरू नहीं हुआ है। ऐसा भी नहीं है कि अखिलेश के पास बजट का अभाव है। उनकी सांसद निधि का ढाई करोड़ रुपया पड़ा है। काम के नाम पर अखिलेश यादव ने अब तक एक सोलर लाइट और एक हैंडपंप दिया है। इससे आम आदमी की नाराजगी लगातार बढ़ रही है।
मुलायम का भी हुआ था विरोध
वर्ष 2014 में जब मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ के सांसद बने तो उन्होंने तमौली गांव को गोद लिया, लेकिन सांसद के तौर पर वह कभी आजमगढ़ नहीं आए। जिला तो दूर अपने गोद लिए गांव तक का विकास नहीं कर सके। इसके कारण उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ा था। अब 2019 में अखिलेश यादव आजमगढ़ के सांसद चुने गए हैं।
वर्ष 2014 में जब मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ के सांसद बने तो उन्होंने तमौली गांव को गोद लिया, लेकिन सांसद के तौर पर वह कभी आजमगढ़ नहीं आए। जिला तो दूर अपने गोद लिए गांव तक का विकास नहीं कर सके। इसके कारण उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ा था। अब 2019 में अखिलेश यादव आजमगढ़ के सांसद चुने गए हैं।