बता दें कि कंपनी द्वारा कर्मचारियों को हटाने के फेसले को लेकर एम्बुलेंस कर्मचारी पिछले एक हफ्ते से आंदोलन कर रहे हैं। रविवार की आधी रात को उन्होंने एम्बुलेंस का संचालन ठप कर उसे हाइवे के किनारे खड़ी कर दिया था। 100 एम्बुलेंस का संचालन ठप होने से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी था। इसके बाद प्रशासन ने एम्बुलेंस चालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही पांच को बर्खाश्त कर दिया था और एम्बुलेंस के संचालन के लिए रोडवेज चालकों कोे लगा दिया गया था। इससे स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर तो लौटी लेेकिन एक दिन में रोडवेज विभाग को सात लाख का नुकसान उठाना पड़ा।
नुकसान के संबंध में जब रोडवेज विभाग ने सीएमओ डा. इंद्रनारायण तिवारी को पत्र लिखा तो रोडवेज चालकों को वापस भेज दिया गया। इसके बाद दूसरे विकल्प की तलाश शुरू हुई। सेवा योजन पोर्टल पर पंजीकृत वाहन चालकों की तलाश शुरू हुई। इसमें से 100 वाहन चालकों का चयन किया गया। जिसमें 10 पीआरडी जवान, 10 होमगार्ड के जवान, 50 सफाईकर्मी और 26 स्कूल बस के चालक हैं।
चालकों की वैकल्पिक व्यवस्था के बाद आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन को जिले के पीएचसी व सीएचसी से बुलाया गया ताकि एम्बुलेंस में मरीजों को कोई दिक्कत न हो। रात से ही इस वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एम्बुलेेंस का संचालन हो रहा है। एम्बुलेंस का संचालन शुरू होने से लोगों ने राहत की सांस ली है। स्वास्थ्य व्यवस्था भी पटरी पर आती दिख रही है। सीएमओ का कहना है कि रोडवेज के चालकों को रात में ही वापस भेज दिया गया था। अन्य स्रोतों से नए चालकों की व्यवस्था कर एम्बुलेंस का संचालन किया जा रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित न हो इसका पूरा प्रयास किया जा रहा है।
BY Ran vijay singh