ये वही अर्थी बाबा हैं जो साल 2007 में गोरखपुर जनपद के विधानसभा चुनाव में अर्थी पर बैठकर निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करने रिटर्निंग आफिसर के यहां पहुंचे थे.। हालांकि उन्हें चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई, लेकिन, वे चर्चा में जरूर आ गए। इसके बाद उन्होंने साल 2009 के चुनाव में भी नामांकन अर्थी पर बैठकर दाखिल किया था। उस वक्त भी उन्होंने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थी। साल 2012 के विधानसभा और साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी वे चुनाव मैदान में कूदे साथ ही साल 2017 के चुनाव में भी वे अर्थी पर बैठकर किस्मत आजमाए लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिली। इस बार अखिलेश यादव के खिलाफ आजमगढ़ से चुनावी मैदान में होंगे।
राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा ने साल 2001 में एमबीए की डिग्री हासिल की थी। उसके बाद से ही वे लगातार चुनाव में अजब-गजब प्रत्याशी के रूप में उतरते रहते हैं। वे प्रधानी से लेकर लोकसभा तक का चुनाव कई बार लड़ चुके हैं. लेकिन, हर बार जीत का दावा करने वाले अर्थी बाबा को अब तक हर बार हार का सामना ही करना पड़ा है. उनका चुनाव कार्यालय हर बार श्मशान घाट पर ही होता है।