आजम खान ने कहा कि लोग सोचते थे मैं जेेल से निकलने के बाद मैं कोई बड़ा इंकलाबी फैसला लुंगा लेकिन आपसे पूछता हूं इस कैफियत में कौन से इंकलाबी फैसला लिया जाय। पहले मुत्तहिद होकर दिखाओं फिर इंकलाबी फैसला लो। मैं आपके इत्तेहाद के लिए आया हूं ऐसा इत्तेहाद नहीं जिससे किसी की परेशानी हो। उन्होंने कहा कि रामपुर या आजमगढ़ का उपचुनाव जीतने अथवा हारने से हुकूमत नहीं बदलने वाली है लेकिन हमें अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है।
अग्निपथ योजना पर आजम खान ने कहा कि माहौल बिगड़ा है। बिहार की आग यूपी आ गई है। मुल्क संगीन दौर से गुजर रहा है। इंसानों के बीच नफरत पैदा की जा रही है। लोग एक-दूसरों के मोहल्लों में रहने से डरने लगे हैं। अग्नि पर लोग चल रहे हैं। हिंदुस्तान ने बहुत बुरे दिन देखे हैं। बहुत छल हुआ, अब भी छले जा रहे हैं। इस आग में किस-किस को निशाना बनाया जाएगा, होशियार रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जेल में जो जुल्म मेरे साथ हुआ, उसे याद रखा जाएगा। हम 27 महीने तक जेल में रहे। हमें एड़ियां रगड़ने या माथा टेक देने को मजबूर किया गया, पर हमने ऐसा नहीं किया। अपनी तकलीफ का जिक्र करने नहीं आया हूं। आपसे कहने आया हूं कि लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पाई। इस चुनाव से हुकूमत नहीं बदलेगी, लेकिन मुल्क को एहसास हो जाएगा कि हम किस तरह विश्वगुरु बनेंगे।
उन्होंने कहा कि हम पर कैसे-कैसे चोरी के इल्जाम लगे। मेरा गुनाह यही कि हम मुसलमान हैं। मेरे दामन पर कोई दाग नहीं है। मैं 27 महीने की तन्हाई काटकर आया हूं। वह इसलिए कि हुक्मरानों पर कत्ल का इल्जाम न आए और हम मर जाएं। सीतापुर जेल में लोग खुदकुशी करते हैं। इसलिए हमें सीतापुर जेल में रखा गया। मैं कल भी जिंदा था, आज भी हूं और कल भी रहूंगा। मुझे एक कमरे में बंद रखा गया। 5 पुलिस के लोग दरवाजे पर बैठाए गए थे। पांच महीने गंभीर बीमारी के बाद मुझे मर जाना चाहिए था, लेकिन मैं न मरा, न पागल बना। आज आपके सामने हूं।