scriptUP Assembly Election 2022: यूपी चुनाव से पहले दलित सियासत हो सकती है गरम, यह है खास वजह | Azamgarh become center of Dalit politics before UP elections 2022 | Patrika News

UP Assembly Election 2022: यूपी चुनाव से पहले दलित सियासत हो सकती है गरम, यह है खास वजह

locationआजमगढ़Published: Nov 30, 2021 12:12:42 pm

Submitted by:

Ranvijay Singh

UP Assembly Election 2022: राजनीतिक दल लगातार आजमगढ़ जिले को दलित सियासत का केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे है। वर्ष 2020 में दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या के बाद शुरू हुई यह कोशिश आज भी जारी है। अब लेखपाल और उनकी पत्नी की हत्या का मामला सियासी रंग लेता दिख रहा है। सपा और कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल आज पीड़ित के घर जाने की तैयारी में है।

घटनास्थल पर जुटी भीड़

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. वैसेे तो यूपी की सियासत में आजमगढ़ का हमेशा से दखल रहा है लेकिन वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर इसे दलित सियासत का केंद्र बनानेे की कोशिश शुरू हो रही है। पिछले वर्ष दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी तो अब लेखपाल और उनकी पत्नी की हत्या के मामले को सपा सियासी रंग में रंगने की कोशिश कर रही है। आज सपा और कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मिलने वाला है।

बता दें कि रविवार की रात में तरवां थाना क्षेत्र के तीथऊपुर गांव निवासी चकबंदी विभाग में लेखपाल पर तैनात राम नगीना (55) पुत्र स्व. लालता व उनकी 52 वर्षीय पत्नी नगीना देवी घर में सोई थी। रात में किसी समय अज्ञात बदमाश घर में घुसे और पति पत्नी की धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी थी। सोमवार की सुबह लोगों को दोहरे हत्याकांड की जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया था। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तीन टीमों का गठन किया है।

वहीं दूसरी तरफ चुनावी साल में दलित दंपत्ति की हत्या का मामला अब सियासी रंग लेता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को पीड़ित के घर पहुंच रहा है। प्रतिनिधिमण्डल में विधायक कल्पनाथ पासवान, जिलाध्यक्ष हवलदार यादव, पूर्व विधायक राम जगराम, पूर्व मंत्री विद्या चौधरी व पूर्व सांसद दरोगा प्रसाद सरोज शामिल है। सपा ने दोहरे हत्याकांड को सरकार की नकामी बताते हुए कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल जिलाध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह के नेतृत्व में मृतक के घर जाने की तैयारी में है।

गौर करें तो 14 अगस्त 2019 को तरवां थाना क्षेत्र में ही दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या हुई थी। इस मामले में सियासी रंग ले लिया था। कांग्रेस ने राष्ट्रीय नेताओं की टीम उतारकर दलितों को साधने की कोशिश की थी तो सपा भी सरकार के खिलाफ पूरी ताकत से मैदान में उतर गयी थी। यहां तक कि भीम आर्मी मुखिया भी आजमगढ़ पहुंचे थे। एक बार फिर वैसी ही सियासत होती दिख रही है।

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