आजमगढ़

फायर बिग्रेड में होता पानी तो मौत का निवाला न बनती छह जिंदगियां

आजमगढ़ की घटना ने खोली व्यवस्था की पोल।

आजमगढ़Jun 12, 2018 / 12:13 pm

रफतउद्दीन फरीद

आजमगढ़ सिलिंडर ब्लास्ट

आजमगढ़. मौत तांंडव कर रही थी और चारो तरफ चीख पुकार मची थी। आग और धुंए की गुबार के बीच घिरे लोग जिंदगी की भीख मांग रहे थे। हर तरह बस एक ही आवाज गूंज रही थी कि कोई तो इन्हें बचाओं लेकिन जिले के आलाधिकारी मौन साधे बैठे थे। सूचना के घंटों बाद फायर बिग्रेड मौके पर पहुंची तो पानी नहीं था और डीएम एसपी को आठ किमी पहुंचने में चार घंटे से अधिक का समय लग गया। अगर अधिकारी लापरवाही नहीं बरतरे और समय से फायर बिग्रेड मौके पर पहुंच जाती तो शायद मौत का यह तांडव रूक जाता और लोग मौत का ग्रास नहीं बनते।

बता दें कि रानी की सराय थाना क्षेत्र के कोटवां (चक बंगाली दलित बस्ती) में रमताजी 85 पत्नी बलेश्वर ने गुरूमंत्र लिया था और अपने जीवित रहते ही त्रयोदशाह (भंडरा) संस्कार करा रही थी। सारे नात रिश्तेदार आज भंडारे में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। दोपहर में भोजन बन रहा था कि करीब एक बजे एकाएक गैस सिलेंडर के रेगुरेटर में रिसाव हुआ और आग लग गयी। बगल में ही भूसा था आग उसमें भी पकड़ ली।

गांव के ही रहने वाले बसपा नेता लालजीत राम ने बताया कि आग लगने के बाद उन्होंने तत्काल थाने पर फोन किया लेकिन गलती से फोन सिधारी थाने पर लग गया। थानाध्यक्ष से मदद मांगने के बाद उसने तुरंत रानी की सराय थानाध्यक्ष से फोन पर बात की और मदद मांगी। एसओ ने तुरंत आने की बात कही यहीं नहीं डायल-100 और फायर बिग्रेड को कई बार फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया।

करीब एक घंटे बाद फायर बिग्रेड की गाड़ी आयी तो लगा कि अब लोगों को जिंदगी बच जायेगी लेकिन वाहन में पानी ही नहीं था। इसके बाद स्थानीय लोगों की मदद से वाहन में पानी भरा गया। इस बीच गांव के लोग आग बुझाने में जुटे रहे। पानी भरने के बाद जब तक फायर बिग्रेड टीम ने काम शुरू किया आग काफी फैल चुकी थी। किसी तरह आग पर काबू पाया गया। इसके बाद करीब 3.50 बजे अपर पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद गंगवार मौके पर पहुंचे लेकिन तब तक आग पूरी तरह बुझ चुकी थी। अहम बात है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी गांव में एम्बुलेंस नहीं आयी। लोगों को आटो से अस्पताल ले जाना पड़ा। रहा सवाल आलाधिकारियों का तो डीएम और एसपी शाम 5.20 बजे मौके पर पहुंचे। जबकि घटना स्थल से शहर की दूरी आठ किमी से अधिक नहीं है।

ग्रामीणों का मानना है कि यदि समय से फायर बिग्रेड टीम अपना काम शुरू करती और लोगों को समय रहते एबुंलेंस में आक्सीजन मिल जाती तो शायद कुछ लोगों की जान बचाई जा सकती थी लेकिन आधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। जिसके कारण एक दो नहीं बल्कि छह लोग मौत के ग्रास बन गए।
By Ran Vijay Singh
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