इटौरा में बने जेल की क्षमता 1244 बंदियों की है। इनकी निगरानी के लिए 252 बंदी रक्षक चाहिए, जबकि तैनाती 42 की है। जेल मैनुअल मुताबिक सात बंदियों पर एक बंदी रक्षक होना चाहिए। पुराने नियतन से 14 पुरुष व सात महिला जेल वार्डन कम हैं। इसी तरह एक कारापाल व दो उप कारापाल के पद भी खाली है। रहा सवाल बंदियों का तो वर्तमान में 1350 बंदी यहां निरुद्ध हैं जो क्षमता से अधिक है। जेल में ध्रुव कुमार सिंह कुंटू, अखंड प्रताप सिंह, पूर्व मंत्री अंगद यादव, मेरठ का उधम सिंह सहित कई बड़े अपराधी बंद है।
जेल से गिरोह के संचालन और मोबाइल के उपयोग को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। प्रशासन यहां से कई बार मोबाइल सहित अन्य अवैध सामाग्री बरामद कर चुका है। पिछले दिनों एक दवा व्यवसायी से रंगदारी भी मांगी गयी थी। वहीं अपराधियों के भागने का खतरा बना रहता है। अपराधियों के पास मोबाइल व अन्य समान कैसे पहुंचता है, इसका पता जेल प्रशासन आज तक नहीं लगा सका है। इसलिए यहां की जेल को हाई सिक्योरिटी जेल में तब्दील करने का फैसला किया गया है।
नई व्यवस्था में जिला कारागार की सुरक्षा घेरा त्रिस्तरीय होगा। जेल के मुख्य गेट के बाहर पुलिस तलाशी लेगी। उसके बाद स्कैनर बैगेज, फूल बाडी स्कैनर से गुजरना होगा। डोर मेटल डिटेक्टर से गुजरने के बाद बंदी रक्षक तलाशी लेंगे। इसके अलावा पग-पग पर लगे पांच मेगा पिक्सल के सीसीटीवी कैमरे प्रत्येक गतिविधियों को कैमरे में कैद करेंगे। खुफिया कैमरों की वजह से नियमों की अनदेखी करने वाले आसानी से पकड़ में आ जाएगे। जेल के मुख्य द्वार से लेकर अंदर हाते तक सीसी रोड का निर्माण किया जाएगा। इसके पीछे मंशा चारो पहर बाइक से पेट्रोलिग कराने की है। कुख्यात अपराधी उच्च सुरक्षा बैरक में रखे जाएंगे।