हाई सिक्योरिटी सिस्टम से लैस होगा आजमगढ़ जेल, अपराधियों की हर गतिविधि पर होगी नजर
- फुल बाडी स्कैन के बाद ही अंदर जा सकेंगे मुलाकाती
- हाई सिक्योरिटी तरंगों वाला जैमर मोबाइल को बना देगा खिलौना
- पूर्व में जेलर की हो चुकी है हत्या, हाल में आरक्षी को मारी गई थी गोली

आजमगढ़. जेल में बंद बड़े अपराधियों पर शिकंजा करने के लिए सरकार ने नई योजना पर काम शुरू कर दिया है। अब जेल से गिरोह के संचालन व अवैध गतिविधियों के संचालन को रोकने के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। इससे न केवल मुलाकातियों और अपराधियों की हर गतिविधि पर नजर होगी बल्कि जेल में बातचीत भी नहीं हो पाएगी। अब सिर्फ गेट पर ही नहीं बल्कि मेटर डिटेक्टर से गुजरते हुए फुल बॉडी स्कैन कराने के बाद ही कोई मुलाकाती अंदर प्रवेश कर पाएगा। यह व्यवस्था पेशी पर जाने वाले बंदियों पर लागू होगी। यहीं जेल प्रशासन का दावा है कि तिहरा सुरक्षा घेरा बनने बाद अपराधी किसी तरह की गतिविध को अंजाम नहीं दे पाएंगे। इसके लिए शासन ने 2.75 करोड़ का बजट पहले ही जारी कर दिया था अब सर्वे आदि का काम भी पूरा हो गया है।
जेलर की हत्या सहित हो चुकी है कई घटनाएं
आजमगढ़ हमेंशा से संवेदनशील जिला रहा है। वर्ष 2005 में यहां जेल के बगल स्थित आवास के सामने जेलर दीप सागर की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। जेल में बंद अपराधियों द्वारा रंगदारी मांगना तो यहां आम बात है। वर्ष 2019 में जेल पर चढ़कर अपराधियों ने एक आरक्षी को आवास में घुसकर गोली मार दिया है। वहीं पिछले वर्ष ही यहां से तीन अपराधी भागने में सफल रहे थे।
क्षमता सें अधिक बंद है बंदी
इटौरा में बने जेल की क्षमता 1244 बंदियों की है। इनकी निगरानी के लिए 252 बंदी रक्षक चाहिए, जबकि तैनाती 42 की है। जेल मैनुअल मुताबिक सात बंदियों पर एक बंदी रक्षक होना चाहिए। पुराने नियतन से 14 पुरुष व सात महिला जेल वार्डन कम हैं। इसी तरह एक कारापाल व दो उप कारापाल के पद भी खाली है। रहा सवाल बंदियों का तो वर्तमान में करीब 1700 बंदी यहां निरूद्ध हैं जो क्षमता से अधिक है। जेल में अखंड प्रताप सिंह, पूर्व मंत्री अंगद यादव, मेरठ का उधम सिंह सहित कई बड़े अपराधी बंद है।
जेल से ही होता है गिरोह का संचालन
बड़े अपराधी जेल से ही गिरोह का संचालन करते हैं। इसमें मोबाइल की अहम भूमिका होती है। प्रशासन यहां से कई बार मोबाइल सहित अन्य अवैध सामाग्री बरामद कर चुका है। पिछले दिनों एक दवा व्यवसायी से रंगदारी भी मांगी गयी थी। वहीं अपराधियों के भागने का खतरा बना रहता है। अपराधियों के पास मोबाइल व अन्य समान कैसे पहुंचता है इसका पता जेल प्रशासन आज तक नहीं लगा सका है। इसलिए यहां की जेल को हाई सिक्योरिटी जेल में तब्दील करने का फैसला किया गया है।
ऐसी होगी सिक्योरिटी
आजमगढ़ जेल को उच्च सुरक्षा जेल के रूप में विकसित किया जाना है। इन जेलों में नॉन लिनियर जंक्शन डिटेक्टर, ड्यूल स्कैनर बैगेज, फुल ह्यूमन बाडी स्कैनर, मुलाकात घर के लिए कांटैक्ट लेस ग्लास, ड्रोन कैमरा, बाडी वार्न कैमरे, नाइट विजन बाइनाकुलर, उच्च क्षमता के हैंडहेल्ड मेटल डिटेक्टर, कन्सरटीना फेन्सिंग व हैवी ड्यूटी स्टेब्लाइजर सिस्टम तथा जिला जेल लखनऊ में सीसीटीवी कैमरे आदि लगाए जाएंगे। नई व्यवस्था में जिला कारागार की सुरक्षा घेरा त्रिस्तरीय होगा। जेल के मुख्य गेट के बाहर पुलिस तलाशी लेगी। उसके बाद स्कैनर बैगेज, फूल बाडी स्कैनर से गुजरना होगा। डोर मेटल डिटेक्टर से गुजरने के बाद बंदी रक्षक तलाशी लेंगे। इसके अलावा पग-पग पर लगे पांच मेगा पिक्सल के सीसीटीवी कैमरे प्रत्येक गतिविधियों को कैमरे में कैद करेंगे। खुफिया कैमरों की वजह से नियमों की अनदेखी करने वाले आसानी से पकड़ में आ जाएगे। जेल के मुख्य द्वार से लेकर अंदर हाते तक सीसी रोड का निर्माण किया जाएगा। इसके पीछे मंशा चारो पहर बाइक से पेट्रोलिग कराने की है। कुख्यात अपराधी उच्च सुरक्षा बैरक में रखे जाएंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी
जेल अधीक्षक राधाकृष्ण मिश्र का कहना है कि बंदियों के पास से मोबाइल बरामद होने, गुटबाजी व तानाशाही के मामले सामने आने से फजीहत होती थी। जेल की सुरक्षा हाई सिक्योरिटी कर दिये जाने के बाद से ऐसे मामलों में रोक लगेगी। वहीं बाहर से आने वाले मुलाकाती भी अपने साथ कोई अवैध वस्तु छिपाकर नहीं ला पाएंगे और ना ही पेशी से आने वाले बंदी रास्ते में कोई सामान लेकर जेल में प्रवेश कर सकेंगे। नई व्यवस्था के लिए बजट पहले से आवंटित हैं। सर्वे का काम भी पूरा हो चुका है। जल्द ही सारे सिक्योरिटी सिस्टम लगाए जाएंगे।
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