scriptना दुर्गा यादव आये काम और ना ही दारा सिंह चौहान हो रहे मेहरबान | Azamgarh Park in Very bad Condition | Patrika News

ना दुर्गा यादव आये काम और ना ही दारा सिंह चौहान हो रहे मेहरबान

locationआजमगढ़Published: Dec 23, 2018 02:41:43 pm

आजमगढ़ को मुलायम सिंह यादव कहते हैं दिल की धड़कन तो योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकत वाला है जिला।

Dara Singh Chauhan and durga Prasad Yadav

दारा सिंह चौहान और दुर्गा प्रसाद यादव

आजमगढ़. यूपी का आजमगढ़ अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में शामिल है तो सांसद मुलायम सिंह इसे अपने दिल की धड़कन हैं। मजेदार बात है कि जब मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव यूपी के सीएम बने तो उन्होंने इसी जिले के बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव को वन मंत्री बनाया और आज जब योगी की सरकार है तो उन्होंने यहीं के दारा सिंह चौहान को वन मंत्री बना दिया। पर दो मंत्री मिलकर वन विभाग के एक अदद पार्क की सेहत नहीं सुधार सके तो आम आदमी के लिए ये क्या काम करेंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह इस जिले के लिए किसी दुर्भाग्य से कम नहीं है। कारण कि जिले में वन विभाग का मात्र एक ही उद्यान है और उसकी हालत जंगल की झाड़ से भी बदतर है। इसके दूसरे किनारे पर स्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठान चलाने वालों ने इसे कूड़ा फेकने का अड्डा बना लिया है।
बता दें कि नगर में कोई ऐसी जगह या उद्यान नहीं है जहां कोई सुबह के समय या दिन में परिवार के साथ समय बीता सके। नगर के ठंडी सड़क पर वन विभाग द्वारा उद्यान का निर्माण कराया गया। जिस समय यह उद्यान बनकर तैयार हुआ उस समय इसकी सुंदरता को देखने को लिए लोग पहुंचते थे। यहां के स्थानीय निवासी यहां छुट्टी के दिन में बच्चों के साथ पहुंचते थे लेकिन समय बीतने के साथ ही इसका हाल बेहाल हो गया। पूर्ववर्ती सरकार में भी जिले के दुर्गा प्रसाद यादव वनमंत्री थे लेकिन उन्होंने भी इस पार्क की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
वर्तमान में दारा सिंह चौहान वनमंत्री हैं और उनके द्वारा भी इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पार्क में लोगों के बैठने के लिए बने चबूतरे टूट चुके हैं। सुंदरता के लिए लगाए गए पौधों की कटाई छंटाई न होने के कारण यह झाड़ी का रुप अख्तियार कर चुके हैं। इसके अलावा इसमें कई प्रकार के जंगली पौधे भी उग आए है। जिसके कारण कोई भी इस पार्क में जाना गवारा नहीं समझता है। बीच में एक स्थान पर साफ-सफाई दिखती है। सड़क के किनारे लगाए गए कंटीले तार कई स्थानों पर टूट चुके हैं। जिसका फायदा उठाकर अगल-बगल के दुकानदार दुकान से निकलने वाले सारे कूड़े को इसी में फेंकते हैं। पार्क की दुर्दशा को देखकर स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है।
क्षेत्र के मिथलेश पांडेय, संतोष गुप्ता, सूरज जायसवाल, अजय सिंह, अमित राय आदि का कहना है कि जिस समय पार्क का निर्माण हुआ था। उस समय लोग काफी खुश थे। लेकिन विगत 10 वर्षों से न तो प्रशासन और ना ही वन विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण पार्क दुर्दशा का शिकार हो गया। इसमें लगे झूले सड़-गलकर गायब हो चुके हैं। पहले पूरा पार्क सड़क से दिखता था अब पोधों के झाड़ियां बनने के कारण यह अराजक तत्वों का अड्डा बन चुका है। इडीएफओ सुधीर श्रीवास्तव का कहना है कि पार्क को देखकर हमें भी दुख होता है लेकिन हम क्या कर सकते हैं सरकार की ओर से इसके मेंटनेंस का कोई पैसा नहीं आ रहा है। हमने एक चौकीदार की तैनाती है उसे दूसरे मद से किसी तरह से भुगतान करते हैं लेकिन हम प्रयास में हैं कि अगर कहीं से पैसे की व्यवस्था होती है तो इसको ठीक कराया जाएगा।
By Ran Vijay Singh

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