इस दौरान स्वामी रामदेव ने गौ रक्षा अभियान पर भी विस्तार से प्रकाश डाला और लगभग विलुप्त हो चुकी गीर गाय को बचाना क्यों जरूरी है और उसका क्या महत्व है इस पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि, गीर भारतीय और स्वदेशी नस्ल है। गठिया, शुगर, कोलेस्ट्रॉल जैसे रोग को जड़ से समाप्त करने का चमत्कारिक गुण गीर गाय के दूध में है। यह प्रजाति किसान के लिए काफी फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि किसान सिर्फ खेती पे आश्रित न रहे उसके साथ गौ पालन भी करे और 20 से 50 लीटर दूध देने वाली स्वदेशी गाय अपनाए। विदेशी नस्ल से छुटकारा पाए ।
उन्होंने कहा कि, गीर नस्ल, साहीवाल, थायपर, राठी, सिंघी आदि 25 से 50 किलो दूध दे सकती है और दे रही है तो विदेशी नस्ल की गाय क्यों। एक गाय का 25 से 50 किलो का दूध और उसके मूत्र से औषधी निमार्ण और 2 लाख से 5 लाख की खेती 1 एकड़ में की जा सकती है। गौ पालन देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। किसानों की आय दुगना करने की सोच जो प्रधान मंत्रीजी की है उसको सिर्फ खेती से ही नही बल्कि डेरी पालन से साकार किया जा सकता है।
मातृ वैदिक गौ संरक्षण संवर्धन सेवा सदन के संचालक आलोक जायसवाल ने कहा कि गीर गाय की प्रजाति गुजरात मे पायी जाती है। उत्तर प्रदेश में यह नाम मात्र की कही कही पायी जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसके दूध और मूत्र में स्वर्ण पाया जाता है जो वैज्ञानिक रूप से प्रूफ है।
विशाल जायसवाल ने कहा कि गिर गाय का दूध शूगर में लाभ दायक होता है। यह गठिया रोग में बहुत लाभदायक होता है। छोटे बच्चों के विकाश में तेजी होती है। भारतीय नस्ल की गिर गाय है बाबा रामदेव की पहली पसंद
बाबा राम देव देशी गायों में सबसे ज्यादा प्रेम गिर गाय को करते हैं। इस नस्ल की गाय रामदेव की फेवरेट है। हालांकि इसकी नस्ल गुजरात में पाई जाती है। कोई विदेशी जर्सी गाय भी उतना दूध नहीं देती, जितना ये गाय देती है। आपको पता ही है कि, बाबा रामदेव विदेशी के बदले स्वेदेशी उत्पाद को बढ़ावा देते हैं। इस गाय की कीमत दो लाख से 10 लाख तक होती है।