आजमगढ़

मैदान में उतर बाहुबली तो तेज हुइ मुलायम के गढ़ की सियासी हलचल

पूव पीएम भार रत्न स्व. अटल बिहरी वाजपेयी जी की अस्थि कलश यात्रा में साथ दिखे बाहुबली पिता-पुत्र।

आजमगढ़Aug 26, 2018 / 03:31 pm

रफतउद्दीन फरीद

रमाकांत यादव

आजमगढ़. राजनीति की दृष्टि से आजमगढ़ हमेशा से समृद्ध रहा है। पूर्व सीएम रामनरेश यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रजीत यादव यादव जैसे बड़े नेताओं ने धरती पर जन्म लिया तो लोहिया, चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंह यादव ने इसे अपनी कर्मस्थली चुनी लेकिन इन बड़े नेताओं के बीच पिछले ढ़ाई दशक में इस जिले में सबसे मजबूत नेता बनकर उभरे बाहुबली रमाकांत यादव जिनका अपना खुद का जनाधार है और राजनीति के बड़े बड़े घुरंधर आज तक यह नहीं समझ पाये कि रमाकांत यादव का कब क्या रूख होगा। पिछले छह माह से रमाकांत यादव सपा में वापसी को लेकर चर्चा में रहे तो पिछले एक माह के भीतर दो बार कुछ ऐसा किया कि विरोधी दल ही नहीं बल्कि उनकी अपनी पार्टी के लोग भी अचंभित रह गए।
 

बता दें कि रमाकंत यादव एक ऐसे नेता है जिन्होंने दल नही हमेशा ही कुर्सी को प्राथमिकता दी है। जगजीवन राम की पार्टी कांग्रेस जे से 1984 में राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले रमाकांत यादव सपा, बसपा होते हुए भाजपा में पहुंचे है। वर्ष 2014 में बीजेपी के पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने के अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति न होने पर उन्होंने बार बार पार्टी का बागी तेवर दिखया लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सरकार बनने के बाद उनके तेवर और तल्ख हो गये। यहां तक कि उन्होंने सीएम योगी को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया जबकि योगी ही उन्हें 208 में बीजेपी में लेकर आये थे। उस समय पार्टी नेतृत्व रमाकांत यादव के बीजेपी में शामिल होने के खिलाफ था लेकिन महागठबंधन की सुगबुगाहट के बीच जब उन्हें 2019 में अपनी राह कठिन दिखने लगी तो योगी को भी नहीं बख्शा।
 

पिछले छह महीने से रामाकांत यादव सपा में वापसी को लेकर चर्चा में रहे। अबू आसिम आजमी, प्रोफेसर राम गोपाल के साथ उनकी मीटिंग फिर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकता ने इस चर्चा को और हवा दिया। कहा जाने लगा कि जुलाई में रमाकांत यादव सपा में चले जाएंगे लेकिन रमाकांत यादव ने उस समय लोगों को चौका दिया जब पीएम मोदी का आजमगढ़ आगमन हुआ। रमाकांत यादव पूरे कार्यक्रम से दूर रहे लेकिन अमित शाह से वार्ता के बाद मोदी का भाषण जैसे शुरू हुआ रैली में प्रकट हो गये। यह अलग बात है कि पास न होने के कारण उन्हें मंच पर जगह नहीं मिली। इसके बाद फिर रमाकांत ने बीजेपी के कार्यक्रमों से दूरी बना ली। इस बीच बीजेपी में टिकट के कई दावेदार पैदा हो गये जो 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।
 

इन लोगों को रमाकांत यादव ने बड़ा झटका एक पखवारा पूर्व आरएसएस का गुरू दक्षिणा कार्यक्रम करा कर दिया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के लोग थे और रमाकांत यादव तथा उनके समर्थक। उसके किसी भाजपाई को आमंत्रित नहीं किया गया। इसके बाद यह तय हो गया कि रमाकांत यादव ही बीजेपी के प्रत्याशी होंगे। आरएसएस के साथ आने के बाद अब किसी दूसरे दावेदार की दाल नहीं गलनी है। शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा आजमगढ़ पहुंची तो रमाकांत यादव पूरी तरह सक्रिय नजर आये। उनके पुत्र विधायक अरूण कांत तो थे ही रमाकांत यादव पूरे लाव लस्कर के साथ यात्रा में शामिल हुए। इसके बाद सियासी हलचल एक बार फिर तेज हो गयी है। भाजपा में उनके विरोधी व टिकट के दावेदार अगर परेशान है तो सपा में जो लोग नहीं चाहते थे कि रमाकांत यादव की पार्टी में वापसी हो वे बेहद खुश है।
By Ran Vjay Singh
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