बता दें कि मुख्यमंत्री के पोर्टल पर प्रदेश के 59 संस्थानों की शिकायत दर्ज कराई गई थी। आरोप लगाया गया था कि प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय के अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से बैंक गारंटी के नाम फर्जी अभिलेख लगाकर मान्यता दी गयी है। इस साजिश में संस्थान प्रबंधन के साथ विभागीय अधीकारी कर्मचारी शामिल हैं। मामले को संज्ञान में लेते हुए शासन ने प्रदेश के सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की जांच का निर्देश जारी किया। निदेशालय द्वारा पहले चरण में 213 संस्थानों की जांच की गई जिसमें 61 संस्थानों में अनियमितता पाई गयी।
अनियमित ढंग से मान्यता हासिल करने वाले 61 संस्थानों में 16 श्री शेषनाथ सिंह प्रा. आईटीआई बसीरपुर मुहमदल्ला, श्री कमलनाथ सिंह प्रा. आईटीआई बरोही फत्तेहपुर, पं. राममूरत मिश्रा प्रा. आईटीआई रानीपुर रजमो बिंद्राबाजार, बाबा बैजनाथ प्रा. आईटीआई गोधपुर किशुनदासपुर, डा. आरएन प्रा. आईटीआई छंगाईपुर अजमतगढ़ सगड़ी, श्री दुर्गाजी प्रा.आईटीआई सेहदा भंरवनाथ, मां वैष्णो प्रा. आईटीआई महावतगढ़ मंदनपुर सगड़ी, ओंकार प्रा. आईटीआई समेदा, श्री चंद्रशेखर प्रा. आईटीआई रानीपुर अराजी देवरा, रमेश कृषक प्रा. आईटीआई सुराई सठियांव, रामनाथ धनंजय प्राइवेट आईटीआई, श्री अवध प्रा. आईटीआई कबूतरा मेंहनगर, योगेंद्र प्रा. आईटीआई, कम्हरिया खरिहानी आजमगढ़ के है, जिन्होंने फर्जी बैंक गारंटी जमा की है।
विभाग के मुताबिक निजी संस्थानों को 20 छात्रों की एक यूनिट पर 50 हजार रुपये की बैंक गारंटी देनी होती है। ट्रेड वार विद्यार्थियों की संख्या घटती बढ़ती है। एक संस्थान दो ट्रेड में कम से कम चार यूनिट की मान्यता लेता है। उसे दो लाख रुपये की बैंक गारंटी देनी पड़ती है और बैंक से जारी प्रमाणपत्र जमा करना पड़ता है लेकिन इस संस्थानों द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र जमा किये गए। अब इस फर्जीवाड़े में बैंक की भूमिका की भी जांच हो रही है।
नोडल प्रधानाचार्य राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान आजमगढ़ अशोक कुशवाहा का कहना है कि बैंक गारंटी में गड़बड़ी की शिकायत की जांच कराई गई, जिसमें 16 निजी संस्थानों में गड़बड़ी सामने आई है। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी गयी है।
BY Ran vijay singh