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भीम आर्मी के शक्ति प्रदर्शन से बढ़ी विरोधी दलों की बेचैनी, बड़े दल भी नहीं जुटा पाते ऐसी भीड़

locationआजमगढ़Published: Jul 21, 2021 10:38:18 am

पूर्वांचल में जड़ जमाने की कोशिश में जुटे भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने जिले में जिस अंदाज में शक्ति प्रदर्शन किया उससे विपक्षी दलों की बेचैनी बढ़ गयी है। कारण कि जिस तरह की भीड़ भीम आर्मी जुटाने में सफल हुई थे और जो उत्सास कार्यकर्ताओं में देखने को मिला ऐसा कम ही देखने का मिलने मिलता है।

पलिया पहुंचे भीम आर्मी कार्यकर्ता

पलिया पहुंचे भीम आर्मी कार्यकर्ता

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वांचल राजनीति का केंद्र बन गया है। एआईएमआईएम चीफ ओवैसी हो या फिर भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर सभी की नजर यहां के मुस्लिम और दलित मतदाताओं पर है। इस कवायद में चंद्रशेेखर काफी प्रभावी नजर आ रहे हैं। पहले उन्होंने आजमगढ़ मंडल की कमान दो मुस्लिम नेताओं को सौंपी और अब जिस तरह से उन्होंने भीड़ जुटाकर प्रदर्शन किया उससे विरोधी दलों की चिंता बढ़नी लाजमी है। कारण कि इसका असर 2022 के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।

बता दें कि पिछलेे एक वर्ष सेे पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। 14 अगस्त 2020 को आजमगढ़ के तरवां में दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या के बाद राजनीतिक दलों ने इस क्षेेत्र को दलित राजनीति का केंद्र बनाने की कोशिश की है। शुरूआत कांग्रेस ने की लेकिन सर्वाधिक फायदे में भीम आर्मी दिख रही है। उस समय चंद्रशेखर को दलित प्रधान के घर जाने से पुलिस ने रोक दिया था।

अब रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया में दलित उत्पीड़न के मामले को लेकर खुलकर राजनीति की जा रही है। यहां भी शुरूआत कांग्रेस ने की। फिर सपा और बसपा ने इसे भुनाने की पूरी कोशिश की लेकिन असली फायदा भीम आर्मी को मिलता दिख रहा है। दो दिन पूर्व चंद्रशेखर के आजमगढ़ आगमन पर जिस तरह की भीड़ और कार्यकर्ताओं का उत्साह दिखा उससे साफ संदेश गया कि यहां भीम आर्मी की जड़े दिन प्रतिदिन मजबूत हो रही है।

चंद्रशेखर ने भी मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने साफ कर दिया कि यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जबतक अधिकारियोें को सजा नहीं मिलती। सात दिन बाद उन्होंने आजमगढ़ में दलित पंचायत का भी अह्वान किया है। अगर यह कार्यक्रम सफल रहा है तो सपा और बसपा की मुश्किलें बढ़नी तय है। कारण कि उक्त दल दलित और मुस्लिम मतदाताओं के दम पर ही यूपी की सत्ता हासिल करती रही हैं।

BY Ran vijay singh

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