बता दें कि पिछलेे एक वर्ष सेे पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। 14 अगस्त 2020 को आजमगढ़ के तरवां में दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या के बाद राजनीतिक दलों ने इस क्षेेत्र को दलित राजनीति का केंद्र बनाने की कोशिश की है। शुरूआत कांग्रेस ने की लेकिन सर्वाधिक फायदे में भीम आर्मी दिख रही है। उस समय चंद्रशेखर को दलित प्रधान के घर जाने से पुलिस ने रोक दिया था।
अब रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया में दलित उत्पीड़न के मामले को लेकर खुलकर राजनीति की जा रही है। यहां भी शुरूआत कांग्रेस ने की। फिर सपा और बसपा ने इसे भुनाने की पूरी कोशिश की लेकिन असली फायदा भीम आर्मी को मिलता दिख रहा है। दो दिन पूर्व चंद्रशेखर के आजमगढ़ आगमन पर जिस तरह की भीड़ और कार्यकर्ताओं का उत्साह दिखा उससे साफ संदेश गया कि यहां भीम आर्मी की जड़े दिन प्रतिदिन मजबूत हो रही है।
चंद्रशेखर ने भी मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने साफ कर दिया कि यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जबतक अधिकारियोें को सजा नहीं मिलती। सात दिन बाद उन्होंने आजमगढ़ में दलित पंचायत का भी अह्वान किया है। अगर यह कार्यक्रम सफल रहा है तो सपा और बसपा की मुश्किलें बढ़नी तय है। कारण कि उक्त दल दलित और मुस्लिम मतदाताओं के दम पर ही यूपी की सत्ता हासिल करती रही हैं।
BY Ran vijay singh