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मुलायम अखिलेश और मायावती पर भारी पड़ चुका है यह शिक्षा माफिया, क्या योगी सरकार कर पाएगी कार्रवाई

locationआजमगढ़Published: Jun 22, 2018 02:09:28 pm

उच्च न्यायालय द्वारा दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगने के बाद हरकत में आया है प्रशासन,

big action on land famiya Lalta Yadav in yogi govenment

मुलायम अखिलेश और मायावती पर भारी पड़ चुका है यह शिक्षा माफिया, क्या योगी सरकार कर पाएगी कार्रवाई

आजमगढ़. सरकार किसी की हो लेकिन जिले में एक ऐसा शिक्षा माफिया है जो सभी पर भारी पड़ा है। उसके द्वारा ग्रीन लैंड में कराये गए अवैध निर्माण को वर्ष 2005 से खाली कराने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन आज तक कोई सरकार खाली नहीं करा सकती है। शिक्षा माफिया की ऊंची पहुंच और कानूनी दांव पेंच में उलझकर हर बार अधिकारियों को बैरंग लौटना पड़ा है। अब उच्च न्यायालय द्वारा दो सप्ताह में कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट मांगने के बाद एक बार फिर प्रशासन सक्रिय हुआ है और 23 जून अवैध कब्जा हटाने के लिए तिथि निर्धारित की गयी है। अब देखना है कि इस बार प्रशासन अपने मंसूबे में सफल होता है या फिर उसे खाली हाथ ही लौटना पड़ता है।

बता दें कि, शहर के मड़या जयराम निवासी लालता यादव पुत्र पतिराज ने करीब दो दशक पूर्व बागेश्वर नगर में तमसा नदी के किनारे ग्रीन लैंड पर कब्जा कर विद्यालय बनवा दिया। इस अवैध कब्जे के खिलाफ कुछ लोगां ने शिकायत की तो लालता यादव ने ऊंची पहुंच का इस्तेमाल कर ममाले को दबा दिया।

वर्ष 2005-06 में इस मामले कार्रवाई का आदेश हुआ। उस समय यूपी में मुलायम सिंह की सरकार थी। फिर वर्ष 2007 में बसपा की सरकार बनी तो फिर कार्रवाई का आदेश हुआ लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अखिलेश सरकार में एडीए द्वारा भवन ध्वस्तीकरण का आदेश किया गया लेकिन लालता यादव ने कानूनी दांव पेंच में उलझाकर कार्रवाई रोक दी। इसके बाद सचिदानंद विश्वकर्मा बनाम स्टेट आफ यूपी जनहित याचिका हाईकोर्ट इलाहाबाद में दाखिल की गयी। साथ ही याची द्वारा आवास एंव शहरी नियोजन में पुनरीक्षण वाद दाखिल किया गया। इस ममाले में 04 अक्टूबर 2016 को विशेष सचिव द्वारा नियमानुसार कार्रवाई का आदेश दिया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वर्ष 2017 में यूपी में बीजेपी की सरकार बनी तो पिछले दिनों प्रशासन ने अवैध कब्जा हटवाने का प्रयास किया गया। निर्धारित तिथि पर अधिकारी बुलडोजर आदि लेकर मौके पर पहुंचे भी लेकिन वापस लौट गए।
ध्वस्तीकरण क्यों रोका गया इसका जवाब किसी अधिकारी ने नहीं दिया। अब उच्च न्यायालय ने 12 अप्रैल 2018 को एक आदेश पारित किया है जिसमें प्रशासन जनहित याचिका और डब्ल्युआरआईटी में हुई कार्रवाई की प्रगति आख्या दो सप्ताह में देने को कहा गया है। इस आदेश के बाद एक बार फिर प्रशासन हरकत में आ गया है। वहीं लालता यादव अवैध निर्माण को बचाने के लिए राजनीतिक पहुंच का प्रयोग करने में जुटे हैं।

वहीं दूसरी तरफ आजमगढ़ विकास प्राधिकरण के सचिव ने 23 जून 2018 को पूर्वांह्न 9 बजे अवैध भवन ध्वस्तीकरण का समय निर्धारित किया है। सचिव ने एसडीएम सदर, सीओ सिटी, ईओ नगरपालिका, वनाधिकारी, तहसीलदार सदर, अधिशासी अभियंता बाढ़खंड को पत्र लिखकर निर्धारित तिथि पर उपस्थित होने को कहा है। इसके बाद से यह मामला फिर चर्चा में है। चर्चा भी बस इस बात की है कि जो काम पिछली तीन सरकारों में नहीं हो सका क्या वह योगी सरकार करा पाएगी या एक बार फिर अधिकारियों को बैरंग लौटना पड़ेगा।
input रणविजय सिंह

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