बता दें कि जिले में एक नवंबर से धान की खरीद शुरू हुई है लेकिन अब तक किसी केंद्र पर एक छटाक धान की खरीदारी नहीं हुई है। धान खरीद न होने में अवकाश का भी असर पड़ा है। वहीं कई केंद्रों पर अब तक पंखा आदि की व्यवस्था नहीं हुई है। कौरागहनी, पवई लाडपुर सहित कई केंद्रों पर प्रभारी अभी खरीद के लिए किसानों का नंबर ही नहीं लगा रहे हैं। किसानों को 15 नवंबर के बाद बुलाया जा रहा है। वहीं बड़ी संख्या में किसान ऐसे भी है जिनका मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है जिसके कारण उन्हें पंजीकरण में दिक्कत आ रही थी।
अभी तक किसान वहीं नंबर पंजीकृत करवा सकते थे जो मोबाइल नंबर आधार से लिंक हो ताकि आधार से उनका सत्यापन हो सके लेकिन ज्यादातर किसानों का आधार वाला नंबर बंद हो चुका है। इसके दो विकल्प उन्हें दिए गए थे कि या तो वह आधार कार्ड अपडेशन सेंटर जाकर अपना फोन नंबर अपडेट करवा लें और दूसरा यह कि वे अपना वह नंबर चालू करवा लें लेकिन जानकारी के अभाव में किसान भटक रहे थे।
किसानों की समस्या के समाधान और खरीद में तेजी लाने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। अब किसान अपने उस मोबाइल नंबर से भी पंजीकरण करवा सकते हैं जो आधार से लिंक नहीं है। वहीं धान की उतराई, छनाई व सफाई कर के उसकी गुणवत्ता केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के तहत लाने के लिए पावर डस्टर व पावर विनोवर उपलब्ध कराने के लिए क्रय एजेंसियां किसी व्यक्ति या संस्था को नामित कर सकेंगी। अभी तक इसके लिए ई-टेंडर के माध्यम से सेवा प्रदाता का चयन करने का नियम था। सरकार के फैसले से किसानों के साथ ही विभागों को भी राहत मिली है।