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बीजेपी में शुरू हुई कुर्सी की जंग, अखिलेश यादव के गढ़ में पार्टी इस नेता पर खेल सकती है दांव

locationआजमगढ़Published: Sep 02, 2019 02:56:00 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

जिले में आधा दर्जन से अधिक दिख रहे अध्यक्ष पद के दावेदार, दावेदारों ने शुरू की लॉबिंग

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आजमगढ़. पार्टी केंद्र और प्रदेश की सत्ता में है, नेताओें को संगठन की ताकत का अंदाजा भी है। ऐसे में कौन नहीं चाहेगा कि अध्यक्ष की कुर्सी उसके पास हो। बीजेपी में संगठन के चुनाव की तिथि निर्धारित होने के बाद से ही कुर्सी की जंग शुरू हो गयी। वर्तमान अध्यक्ष से लगायत आधा दर्जन नेता अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन होने के लिए बेचैन है। इसके लिए गोलबंदी भी शुरू हो गयी है लेकिन सबकी नजर प्रदेश नेतृत्व पर जमी है कि क्या पार्टी पहली बार पिछड़े पर दांव लगाएगी या फिर यह कुर्सी सवर्ण के ही खाते में जाएगी।

गौर करें तो बीजेपी जब से अस्तित्व में आयी है तब से आज तक यहां सवर्ण ही जिलाध्यक्ष चुना गया है। पिछले कुछ वषों में खासतौर पर 2014 के बाद इस दल में पिछड़ों की दावेदारी अध्यक्ष पद के लिए बढ़ी है। जिस तरह से पिछड़ों पर पार्टी फोकश कर रही है और प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ी जाति के बनाये गये और सदस्यता अभियान में अधिक से अधिक पिछड़े और दलितों को पार्टी से जोड़ने का प्रयास किया गया उसके बाद से आम कार्यकर्ता भी यह मानने लगा है कि इस बार जिलाध्यक्ष पिछड़ी जाति का बनाया जा सकता है।

पार्टी में श्रीकृष्ण पाल, ब्रजेश यादव पिछड़ी जाति से अध्यक्ष के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे है। वहीं वर्तमान जिलाध्यक्ष जयनाथ सिंह एक और कार्यकाल की ख्वाब पाले है। जयनाथ सिंह के सिर पर पंकज सिंह का हाथ है। इनके अलावा अजय सिंह भी जिलाध्यक्ष बनना चाहते हैं। अजय पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह के करीबी है। अखिलेश मिश्रा भी अध्यक्ष बनने के लिए प्रयासरत है लेकिन अभी खुलकर सामने नहीं आये है। गुड्डू कलराज मिश्र के रिश्तेदार है। अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये ज्ञानू सिंह भी दावेदारी कर रहे है। ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि बाजी किसके हाथ लगेगी।

वैसे इस दल में बूथ और मंडल अध्यक्ष के लिए भी घमासान कर नहीं है। पहले चुनाव भी इन्हीं का होना है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक 18 से 22 सितंबर के मध्य बूथ का चुनाव होगा। इसमें बूथ समितियों का चुनाव होना है। जिन बूथों पर 25 से कम सदस्यता हुई है, उन बूथों पर चुनाव नहीं होगा। बूथ अध्यक्षों के चुनाव के बाद ही मंडल अध्यक्ष का चुनाव होगा। सबसे अंत में जिलाध्यक्ष चुना जाएगा। जिलाध्यक्ष की कुर्सी उसी को मिलनी है जो सबसे ताकतवर साबित होगा। कारण कि यह फैसला सर्वसम्मति से लेने पर जोर पार्टी दे रही है।
BY- RANVIJAY SINGH

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