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UP Assembly Election 2022: सपा के गढ़ में बाहुबलियों के भरोसे बीजेपी?, सौंप रही बड़ी जिम्मेदारी

locationआजमगढ़Published: Nov 18, 2021 11:16:59 am

Submitted by:

Ranvijay Singh

UP Assembly Election 2022: एक तरफ बाहुबलियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ उन्हें गले लगाने में भी पीछे नहीं है। खासतौर पर समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में बीजेपी ने एक बाहुबली को सोशल मीडिया का सह संयोजक बनाया है तो पार्टी में बाहुबलियों परिवार से कई लोग टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।

प्रतीकात्मक फोटो

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. UP Assembly Election 2022: माफिया और गुंडों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर सुर्खियां बटोर रही बीजेपी दावे के विपरीत गुंडों और बाहुबलियों से ही गलबहियां करती नजर आ रही है। खासतौर पर समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में जहां पार्टी लंबे समय से अच्छे प्रदर्शन के लिए तरसती रही है। आने वाले चुनाव में पार्टी इन्हीं के भरोसे कुछ अच्छा करने का प्लान कर रही है। आजमगढ़ में जहां एक एक बाहुबली को पार्टी के सोशल मीडिया का सह संयोजक बनाया गया है तो कई बाहुबली परिवारों के लोग टिकट की दावेदारी भी करते दिख रहे हैं।

बता दें कि पूर्वांचल में प्रयागराज के बाद सर्वाधिक 10 सीट आजमगढ़ में हैं जिसपर बीजेपी की नजर जनसंघ के समय से है लेकिन चाहे राम लहर रही हो या मोदी लहर कभी यहां बीजेपी बहुत अच्छा नहीं कर पाई है। चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो। वर्ष 1969 में पहली बार यहां जनसंघ का खाता खुला था। रामबचन यादव निजामाबाद से जनसंघ के विधायक चुने गए थे। इसके बाद बीजेपी को जीत के लिए 30 साल से अधिक समय इंतजार करना पड़ा।

वर्ष 1991 की राम लहर में बीजेपी ने आजमगढ़ जिले की सरायमीर व मेंहनगर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। बाकी की आठ सीटों पर पार्टी कोई करिश्मा नहीं कर सकी। इसके बाद वर्ष 1996 में बीजेपी को लालगंज सीट पर जीत मिली। फिर बीजेपी को लंबा इंतजार करना पड़ा। वर्ष 2008 के लोकसभा उप चुनाव में बीजेपी ने बसपा छोड़कर आये बाहुबली रमाकांत यादव को मैदान में उतारा लेकिन वे भी हार गए। इसके बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में फिर बीजेपी ने बाहुबली पर दाव लगाया। उस समय दाव सफल रहा और पार्टी सदर सीट जीतने में सफल रही। यूं भी कहा जा सकता है कि बाहुबली के भरोसे बीजेपी का लोकसभा में खाता खुल गया।

वर्ष 2014 के मोदी लहर में भी बीजेपी ने रमाकांत यादव को सदर से मुलायम के खिलाफ उतारा और लालगंज सुरक्षित सीट पर नीलम सोनकर पर दाव लगाया। मोदी लहर में पहली बार बीजेपी लालगंज सीट जरूर जीतने में सफल रही लेकिन सदर में उसे हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने पूरे यूपी में 325 सीट जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया उस समय भी उसे आजमगढ़ में निराशा मिली। पार्टी बाहुबली रमाकांत यादव के पुत्र अरूणकांत यादव को मैदान में उतारकर फूलपुर सीट जीतने में जरूर सफल रही लेकिन बाकी की नौ सीटों पर सूपड़ा साफ रहा।

अब एक बार फिर बीजेपी 2022 के चुनाव में बाहुबलियों के भरोसे दिख रही है। बाहुबली रमाकांत यादव के पुत्र अरूणकांत का टिकट फूलपुर से पक्का माना जा रहा है। वहीं निजामाबाद से बाहुबली अंगद यादव जो जेल में सजा काट रहे हैं उनके भतीजे बीजेपी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। यहीं नहीं बीजेपी में युवा मोर्चा के अध्यक्ष निखिल राय को लेकर काफी विवाद हुआ। निखिल राय और अन्य नेताओं की मारपीट पूरी तरह से सार्वजनिक होने से बीजेपी की खूब किरकिरी हुई। निखिल राय का नाम भी पुलिस की सूची में पहले से दर्ज है। इसके अलावा अब बीजेपी ने किसान मोर्चा में अमरजीत यादव को सह संयोजक सोशल मीडिया बना दिया है। अमरजीत यादव का लंबा आपराधिक रिकार्ड है। उन्हें शिवदास गैंग का माना जाता है। अमरजीत को जिम्मेदारी देने के बाद बीजेपी की खूब किरकिरी हो रही है। इसके बाद भी बीजेपी नेता चुप हैं।

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