इस बार बीजेपी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी है। ऐसे में चुनाव दिलचस्प होना तय है। कारण कि अपरोक्ष रूप से ही सही विपक्ष पहले से ही अपने कार्यकर्ताओं को ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ता रहा है। चुनाव तैयारियों की बात करें तो सपा बीजेपी के अपेक्षा सर्वाधिक पिछड़ी हुई है। भाजपा जिला इकाइयों की घोषण कर जहां कार्यसमितियों की बैठक कर आगे का एजेंडा तैयार कर रही है वहीं, सपा अभी तक जिलाध्यक्षों का चुनाव तक नहीं कर पाई है। सपा की सभी इकाइयां भंग चल रही हैं। इसके विपरीत बीजेपी ने पंचायत चुनाव के पहले 19 व 20 मार्च को प्राथमिक विद्यालयों में जाकर शिक्षकों, छात्र-छात्राओं व अभिभावकों के बीच प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री द्वारा चलाई जा रही शिक्षा की योजनाओं पर चर्चा करने का फैसला किया है। इसके अलावा भाजपा कार्यकर्ता सीएचसी व सीएचसी में लगने वाले आरोग्य मेला में शामिल होकर उपचार में लोगों की मदद करने की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिये है। यह कार्यक्रम पूरा होने के बाद आगे की रणनीति पर पार्टी काम शुरू करेगी।
सूत्रों की मानें तो पंचायत चुनाव के पहले बीजेपी जहां घर-घर तक पहुंच बनायेगी, वहीं छोटे कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने का मौका देकर उनके मनोबल को ऊंचा करेगी। इससे एक फायदा यह होगा कि पंचायत में आरक्षित सीटें काफी संख्या में होगी जिनपर अति पिछड़ों और दलितों को चुनाव लड़ा पार्टी न केवल अपनी ताकत परखेगी बल्कि विपक्ष के वोट बैंक में सेंध भी लगाने की कोशिश करेगी। राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह 2022 से पहले बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक है।