बता दें कि, पूर्वांचल की राजनीति में बाहुबली रमाकांत यादव का काफी दबदबा हैं। खासतौर पर आजमगढ़ में वह सबसे मजबूत यादव नेता माने जाते हैं। यहीं वजह है कि कांग्रेस जे से लगायत, सपा, बसापा और भाजपा जिस भी दल से रमाकांत ने चुनाव में किस्मत आजमाया जीत हसिल की। रमाकांत यादव राजनीतिक कैरियर की शुरूआत से ही विवाद में रहे।
सपा में रहते हुए उन पर हत्या, अवैध कब्जा, धार्मिक स्थल की गिट्टी जबरदस्ती लेने सहित कई गंभीर आरोप लगे। 2008 में भाजपा में आने के बाद भी रमाकांत यादव का विवादों से नाता नहीं छूटा और उनपर उलेमा कौंसिल के कार्यकर्ता के हत्या का आरोप लगा। वर्ष 2017 में यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद रमाकांत यादव अवैध खनन को लेकर चर्चा में रहे।
अब उनके पुत्र विधायक अरूण भी उनकी राह पर चल रहे हैं। अरूणकांत को राजनीति में अब तक स्थापित नहीं हुए हैं। नेता के रूप में स्थानीय स्तर पर भी उनकी कोई पहचान नहीं है। बस उन्हें रमाकांत यादव के पुत्र के रूप में देखा जाता है। यहीं वजह है कि अरूण कांत ने रमाकांत का विरोध कर पहली बार निकाय चुनाव में अपने गृह क्षेत्र में आने वाली माहुल नगर पंचायत से अपनी मां सत्यभामा यादव को चुनाव लड़ाया और रमाकांत ने मदद नहीं की तो तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। लेकिन अरूण अपने रहन सहन को लेकर हमेशा चर्चा में रहे है।
घंटों जिम में समय बिताना उनका शगल है तो बाउंसरों के साथ घूमकर वे लगातार अपनी छवि दबंग नेता की दिखाने का प्रयास कर रहे है। किसी के भी साथ दुर्व्यवहार इनके लिए आम बात है। चुंकि वे रमाकांत के पुत्र है इसलिए कोई उन्हें चुनौती देने की हिम्मत नहीं जुटा पता। यहीं वजह है कि जब पिछले दिनों उन्होंने एक अधिकारी को धमकाया था तो मामला चौबीस घंटे में रफा दफा हो गया।
अब अरूण कांत यादव अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड चतुर्थ संतोष कुमार मिश्र को धमकी देकर बुरे फंस गए हैं। कारण कि इस अधिकारी ने सीधे तौर पर लड़ाई भले न लड़ी हो और थाने तक जाने की हिम्मत न जुटा पाया हो लेकिन प्रबंध निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम वाराणसी, मुख्य अभियंता वितरण खंड आजमगढ़, अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण मंडल आजमगढ़ को विधायक के खिलाफ पत्र लिखकर और पत्र को मीडिया में लीक कर शासन तक अपनी बात पहुंचा दी है।
वैसे प्रशासन ने अभी तक इस मामले को संज्ञान में नहीं लिया है और ना ही किसी तरह की कार्रवाई की है लेकिन विधायक की छवि पर इसका असर पड़ना तय है। वहीं विधायक के इस कृत्य से रमाकांत यादव की मुश्किल बढ़ी है कारण कि आने वाले समय में चुनाव है और बीजेपी में उनकी स्थित इस समय ठीक नहीं हैं। रमाकांत की अपनी छवि सवर्ण विरोधी है और अरूण ने एक सवर्ण अधिकारी को धमकी देकर इस मुद्दे को हवा दे दी है। कारण कि रमाकांत यादव इस समय विवाद से दूर भाग रहे हैं। अभी तक सपा ने उन्हें आजमगढ़ से चुनाव लड़ाने की सहमती नहीं दी है यदि सपा रमाकांत को गले नहीं लगाती है तो उनका बीजेपी से लड़ना लगभग तय है और उस परिस्थिति में सवर्ण विरोधी छवि उनपर भारी पड़ सकती है।
input रणविजय सिंह