इसे भी पढ़ें वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत को एयरपोर्ट पहुंचे दिग्गज कांग्रेस नेता पहले ही दिन डेढ़ हजार से अधिक लोगों ने सदस्यता ग्रहण किया। इस अभियान की खास बात है कि बीजेपी का पूरा फोकस बी श्रेणी बूथों (ऐसे बूथ जहां बीजेपी कमजोर है अथवा कभी जीतती है तो कभी हार जाती है) है जहां अक्सर विपक्ष से उसे मात खानी पड़ती है। पार्टी ने बाकायदा ऐसे बूथों की सूची तैयार की है। यहां कार्यकर्ता जाकर लोगों से मिलकर पार्टी की नीतियों बीजेपी सरकार की योजनाओं से अवगत कराते हुए पार्टी से जोड़ेगे।
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इस अभियान के जरिये बीजेपी एक तीर से दो शिकार करेगी। एक तो वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी से जोड़ेगी दूसरे उसे यह पता चल सकेगा कि कहां सरकार की योजनाएं सही ढंग से पहुंची है कहां नहीं। अगर नहीं पहुंची है तो किस स्तर पर कमी हुई। उस कमी को दूर कराकर तथा लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाकर कार्यकर्ता लोगों के दिलों में उतरने की कोशिश करेंगे। वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह बीजेपी का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इस अभियान के जरिये बीजेपी एक तीर से दो शिकार करेगी। एक तो वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी से जोड़ेगी दूसरे उसे यह पता चल सकेगा कि कहां सरकार की योजनाएं सही ढंग से पहुंची है कहां नहीं। अगर नहीं पहुंची है तो किस स्तर पर कमी हुई। उस कमी को दूर कराकर तथा लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाकर कार्यकर्ता लोगों के दिलों में उतरने की कोशिश करेंगे। वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह बीजेपी का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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कारण कि गठबंधन की हार के बाद पूरे प्रदेश में सपा और बसपा के लोग हतोत्साहित है। सरकार से लड़ने का अब तक उनके पास कोई एजेंडा भी नहीं दिख रहा है। ऐसे में बीजेपी अगर अपने बी श्रेणी के बूथों को मजबूत कर लेती है तो निश्चित तौर पर विपक्ष के लिए 2022 की राह आसान नहीं होगी। कारण कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी आजमगढ़ जिले की कोई सीट भले ही न जीती हो लेकिन उसका मत प्रतिशत तेजी से बढ़ा है। ऐसे में सपा बसपा के अलग अलग मैदान में आने पर वह कड़ी चुनौती पेश कर सकती है।
कारण कि गठबंधन की हार के बाद पूरे प्रदेश में सपा और बसपा के लोग हतोत्साहित है। सरकार से लड़ने का अब तक उनके पास कोई एजेंडा भी नहीं दिख रहा है। ऐसे में बीजेपी अगर अपने बी श्रेणी के बूथों को मजबूत कर लेती है तो निश्चित तौर पर विपक्ष के लिए 2022 की राह आसान नहीं होगी। कारण कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी आजमगढ़ जिले की कोई सीट भले ही न जीती हो लेकिन उसका मत प्रतिशत तेजी से बढ़ा है। ऐसे में सपा बसपा के अलग अलग मैदान में आने पर वह कड़ी चुनौती पेश कर सकती है।
By Ran Vijay Singh