रहा सवाल अरूण यादव का तो वे पिता की पार्टी से बगावत के दौरान भी शांत रहे और पार्टी के प्रति निष्ठा जताते रहे। लोकसभा चुनाव में उन्होंने खुलकर बीजेपी का साथ दिया। अरूण को डिप्टी सीएम केशव मौर्य का करीबी भी माना जाता है। रमाकांत के जाने के बाद पार्टी में यादव नेताओं की कमी भी है। रमाकांत और अरूणकांत के पारिवारिक कारणों से संबंध भी अच्छे नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी अरूण कांत को मंत्री बनाकर एक तीर से दो शिकार करेगी। एक तो मंत्री बनने के बाद पिता पुत्र की दूरी और बढ़ेगी, भविष्य में अरूण के रमाकांत के साथ खड़े होने की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी साथ ही पार्टी यादव मतों को भी अपने पक्ष में कर पाएगी। अगर अरूण कांत मंत्री बनते हैं तो रमाकांत के परिवार के पहले व्यक्ति होगें जिन्हें किसी सरकार में मंत्रालय मिलेगा। रमाकांत चार बार विधायक और इतनी ही बार सांसद जरूर रहे लेकिन सपा, बसपा ने उन्हें कभी मंत्री नहीं बनाया। यहीं नहीं उनके भाई उमाकांत यादव भी कभी मंत्री नहीं बन पाए है।
BY-Ranvijay Singh