बता दें कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव आजमगढ़ संसदीय सीट से सांसद चुने गए थे। सांसद बनने के बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ जिले की चार यात्राएं की लेकिन वे हर बार निजी या पार्टी के कार्य से यहां आये। पहली बार वे जनता का अभिवादन करने पहुंचे लेकिन नेताओं में ही घिरे रहे। इसके बाद अखिलेश यादव पूर्व सांसद रामकृष्ण यादव के निधन पर उनके घर आंधीपुर, फिर पूर्व मंत्री वसीम अहमद के घर आये। उन्होंने अपनी चौथी यात्रा अभी हाल में की। अखिलेश पूर्व मंत्री बलराम यादव की पुत्रवधू के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने उनके घर सेनपुर आये थे।
पिछले वर्ष सीएए व एनआरसी को लेकर बिलरियागंज में बवाल हुआ तब भी अखिलेश यादव चुप रहे। जिसे लेकर कांग्रेस ने उन्हें ट्वीटर वाला नेता बताते हुए गुमशुदगी का पोस्टर लगाया था। जिसका सपाइयों ने कड़ा विरोध किया था। अब जिला जलजमाव की समस्या से जूझ रहा है। सांसद ने आपाराधिक घटनाओं को लेकर ट्वीट तो किया लेकिन आम आदमी की समस्या पर कुछ नहीं बोले। इससे नाराज होकर भाजपा जिला उपाध्यक्ष हरिबंश मिश्र के नेतृत्व में सोमवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने शहर के कई क्षेत्रों में लापता सांसद की तलाश का पोस्टर लगा दिया। इसके बाद जिले की सियासत तेज हो गयी है।
हरिबंश मिश्र का कहना है कि अखिलेश यादव आजमगढ़ के सांसद हैं लेकिन उन्होंने कोविड काल में जनता की एक बार भी सुध नहीं ली। आज जनता जल जमाव की समस्या से जूझ रही है लेकिन अखिलेश आजमगढ़ आने के बाद भी बाढ़ क्षेत्र में नहीं गए। वे सांसद बनने के बाद सिर्फ आजमगढ़ में तेरही खाने आते हैं। जनता और विकास से उनका कोई लेना देना नहीं है। सपा विधायक भी एसी में बैठे हैं।
गौरतलब है कि इसके पूर्व वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ के सांसद चुने गए थे लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे एक बार भी आजमगढ़ नहीं आए थे। इससे नाराज होकर भाजपाइयों ने शहर में उनके लापता होने का पोस्टर लगाया था और भाजपा कार्यकर्ता दिन में लालटेन लेकर उनकी तलाश में निकले है। उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी जिसके कारण जमकर हंगामा हुआ था। पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था।