scriptऔर गम में बदली शादी की खुशियां | And happy gambling in gum | Patrika News

और गम में बदली शादी की खुशियां

locationआजमगढ़Published: May 29, 2017 01:05:00 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

करसाई (करौली). कोटा-मामचारी गांव में खुशियों से सराबोर मोहरसिंह मीणा पर अचानक विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। जिसमें उसने अपने बुढ़ापे की लाठी खो दी। उसे क्या पता था कि पुत्री की डोली को विदा करने के बाद इकलौते पुत्र की अर्थी उठानी पड़ेगी। हादसे की जिसने भी सुनी, वे सन्न रह गए। घटना कोटा-मामचारी गांव की

करसाई (करौली). कोटा-मामचारी गांव में खुशियों से सराबोर मोहरसिंह मीणा पर अचानक विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। जिसमें उसने अपने बुढ़ापे की लाठी खो दी। उसे क्या पता था कि पुत्री की डोली को विदा करने के बाद इकलौते पुत्र की अर्थी उठानी पड़ेगी। हादसे की जिसने भी सुनी, वे सन्न रह गए। घटना कोटा-मामचारी गांव की है। जहां शनिवार रात 11 बजे बहन की शादी-समारोह के दौरान मंडप में लाइट का तार ठीक करते समय भाई रामकेश (28) पुत्र मोहरसिंह मीणा की मौत हो गई। परिजन व रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मृतक का गमगीन माहौल में रविवार को अंतिम संस्कार किया गया। चार वर्षीय पुत्र ने उसे मुखाग्नि दी। कोटा-मामचारी निवासी मोहरसिंह मीणा की पुत्री का विवाह कार्यक्रम चल रहा था। 
उसके घर बारात आई हुई थी। दूल्हा-दुल्हन के पाणिग्रहण संस्कार की तैयारियों के लिए मंडप में लाइट का तार सही करने के लिए गया दुल्हन का भाई करंट की चपेट में आ गया। अचेतावस्था में जिला अस्पताल ले गए, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। हालांकि इस बीच फेरों की रस्म पूरी कर ली गई और दुल्हन की डोली को विदा कर दिया गया।
नहीं जले चूल्हें: रामकेश की मौत की खबर सुनते ही परिजनों-रिश्तेदारों में कोहराम मच गया। घटना के बाद गांव में रविवार सुबह चूल्हे तक नहीं जले। शादी की सारी खुशियां गम में बदल गई।
…और हो गई बेहोश: ससुराल की चौखट पर कदम रखते ही भाई की मौत की सूचना मिलते ही बहन बेहोश हो गई। ससुरालजन तुरंत ही उसे भाई की सूरत दिखाने के लिए पीहर ले आए। जिस आंगन में चंद घंटे पहले मंगल गीत गाए गए, वहां रूलाई का मंजर बन गया। रिश्तेदारों, परिचितों व परिजनों हर किसी की आंख नम हो गई। 
नहीं थम रहे आंसू: मृतक के पिता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उसके पांच पुत्रियां हैं और एक बेटा था। ट्रैक्टर चलाकर परिवार का वह पालन-पोषण करता था। ऐसे में घर-परिवार की सारी जिम्मेदारियां बुढ़ापे में फिर उसके कंधे पर आ गई।
उजड़ गया सुहाग: पत्नी रामकेशी देवी का सुहाग भी उजडऩे से उसकी भी रुलाई नहीं थम रही। उसके दो पुत्री एवं एक पुत्र है। 

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो