उसके घर बारात आई हुई थी। दूल्हा-दुल्हन के पाणिग्रहण संस्कार की तैयारियों के लिए मंडप में लाइट का तार सही करने के लिए गया दुल्हन का भाई करंट की चपेट में आ गया। अचेतावस्था में जिला अस्पताल ले गए, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। हालांकि इस बीच फेरों की रस्म पूरी कर ली गई और दुल्हन की डोली को विदा कर दिया गया।
नहीं जले चूल्हें: रामकेश की मौत की खबर सुनते ही परिजनों-रिश्तेदारों में कोहराम मच गया। घटना के बाद गांव में रविवार सुबह चूल्हे तक नहीं जले। शादी की सारी खुशियां गम में बदल गई।
…और हो गई बेहोश: ससुराल की चौखट पर कदम रखते ही भाई की मौत की सूचना मिलते ही बहन बेहोश हो गई। ससुरालजन तुरंत ही उसे भाई की सूरत दिखाने के लिए पीहर ले आए। जिस आंगन में चंद घंटे पहले मंगल गीत गाए गए, वहां रूलाई का मंजर बन गया। रिश्तेदारों, परिचितों व परिजनों हर किसी की आंख नम हो गई।
नहीं थम रहे आंसू: मृतक के पिता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उसके पांच पुत्रियां हैं और एक बेटा था। ट्रैक्टर चलाकर परिवार का वह पालन-पोषण करता था। ऐसे में घर-परिवार की सारी जिम्मेदारियां बुढ़ापे में फिर उसके कंधे पर आ गई।
उजड़ गया सुहाग: पत्नी रामकेशी देवी का सुहाग भी उजडऩे से उसकी भी रुलाई नहीं थम रही। उसके दो पुत्री एवं एक पुत्र है।