कुछ समय तक रहने के बाद एडीएम गुरु प्रसाद लौट गए। इसके बाद अफसर व कर्मचारी धरने पर बैठे रहे। इसकी वजह से विकास भवन का कार्य पूरी तरह से ठप रहा। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि जब सीडीओ का स्थानांतरण नहीं होगा, धरना जारी रहेगा। बाद में यह मामला जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी के दरबार तक पहुंचा। यहां दोनों पक्षों को पेश किया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। दोनों अफसर अपनी-अपनी बात पर अडिग रहे। सूचना के बाद विभिन्न ब्लाकों के कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गए। इसकी वजह से ब्लाकों पर भी काम प्रभावित रहा। दूसरी तरफ अधिकारियों की जंग देख फरियादी सकते में रहे वहीं आला अधिकारी इस मामले में मौन साध लिए।
विकास भवन के इतिहास में सोमवार की घटना लिखी जाएगी। अब तक विकास भवन में कोई भी अधिकारी आपस में नहीं भिड़े थे और न ही इस तरह की घटनाएं हुई थीं। जिस तरह की घटना सीडीओ कार्यालय में सोमवार को सुबह हुई वह पूरी तरह से प्रशासनिक अमले को शर्मिदा कर रही हैं। जब अफसर खुद अपने कार्य को सलीके से नहीं निबटा पा रहे हैं तो यह दूसरे का काम किस तरह से करेंगे, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। चार दशक पूर्व विकास भवन की स्थापना हुई। विकास भवन के मुखिया मुख्य विकास अधिकारी होते हैं। ऐसे में सीडीओ के नेतृत्व में विकास भवन के कार्यो का संचालन होता है।
अधिकारियों के व्यवहार को लेकर कर्मचारी तो कई बार हड़ताल पर रहकर प्रदर्शन किए। कई बार मांगों को लेकर एक-एक माह तक कार्य नहीं किए, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। सोमवार को सीडीओ व पीडी डीडी शुक्ला के बीच जो कुछ भी हुआ वह लोग याद करेंगे। दो अफसर केबिन में आपस में इस तरह से हाथापाईं पर उतारू हो जाएं कि पद व अपनी मर्यादा की गरिमा को भूल जाएं, यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। जब अफसरों का यह हाल है तो कर्मचारियों की स्थिति क्या होगी, इसका सहज कयास लगाया जा सकता है। हड़ताल पर कर्मचारी सीडीओ निबटा रहे थे कार्य
सीडीओ कमलेश सिंह को हटाए जाने की मांग को लेकर पीडी व डीडीओ के नेतृत्व में विकास भवन के सारे कर्मचारी जहां गेट पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे वहीं मुख्य विकास अधिकारी अपने कार्यालय में बैठकर लोगों की समस्याएं व काम को मूर्तरूप देने में जुटे थे। सीडीओ की गाड़ी भी वहां से हटा दी गई थी। दोपहर तक हड़ताल पर कर्मचारी बैठे रहे। एडीएम वित्त एवं राजस्व गुरु प्रसाद समझा-बुझाकर अपने कार्यालय पर चले गए। सीडीओ का कहना था कि अधिकारी व कर्मचारी जान-बूझकर गलती कर रहे हैं।
By Ran Vijay Singh