बता दें कि जिले में क्षय रोग एक बड़ी समस्या है। ज्यादातर गरीब वर्ग के लोग ही इस बीमारी की चपेट में है जिनके पास संसाधनों का आभाव है जिसके कारण उन्हें समुचित उपचार कराने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अब तक टीबी अस्पताल में टीबी की दवा तो मिल जाती थी लेकिन अन्य बीमारी की दवाएं मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ती थी। इससे लोगों का आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ता है।
वर्तमान में जनपद में 1542 सक्रिय मरीज हैं। वैसे तो इलाज की व्यवस्था जनपद के सीएचसी व पीएचसी पर भी उपलब्ध है लेकिन समुचित इलाज और जांच की व्यवस्था मंडलीय अस्पताल स्थित टीबी क्लीनिक में होता है। यहां रोजाना करीब सैकड़ों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां सिर्फ टीबी के इलाज की दवाएं होने से दूसरे रोगों की दवाएं लिखने पर मरीज को बाजार का सहारा लेना पड़ता था। नई व्यवस्था में 14 प्रकार की दवाएं अधिकांश मरीजों की जरूरतों को पूरी कर देंगी।
अब टीबी अस्पताल में उल्टी के लिए ओन्डेन स्ट्रान, बुखार के लिए पैरासीटामाल, एंटीबायोटिक सेफेक्जीम, एंटीबायोटिक एजीथ्रोमाइसीन, आयरन बीथ फोरिक एसिड, सालबीटा माल, एंटीबायोटिक डाक्सीसाइक्लीन कैप्सूल, मेट्रोजिल, ब्राम्हेक्सीन, आइब्रामेक्सीन, निसोलोन कैप्सूल, लेवोसिटीजीन, अल्फ्राजोल, मैग्नीशियम ट्राइसिलकेट सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. परवेज अख्तर का कहना है कि टीबी क्लीनिक में टीबी के अलावा दूसरी बीमारियों की दवाएं भी उपलब्ध है। सरकार की नई व्यवस्था से मरीजों को बड़ी राहत मिली है। सांस, एलर्जी, खांसी, दर्द इत्यादि परेशानियों से निजात के लिए 14 तरह की दवाओं की आपूर्ति मिलने लगी है।