scriptश्रीराम की आंदि गंगा के आएंगे अच्छे दिन, तट पर लगेंगे पांच हजार पौधे | cleaning on tamsa river | Patrika News

श्रीराम की आंदि गंगा के आएंगे अच्छे दिन, तट पर लगेंगे पांच हजार पौधे

locationआजमगढ़Published: Jun 19, 2018 05:11:10 pm

जोरशोर से चल रही है तमसा नदी की सफाई

cleaning on tamsa river

श्रीराम की आंदि गंगा के आएंगे अच्छे दिन, तट पर लगेंगे पांच हजार पौधे

आजमगढ़. पौराणिक महत्व रखने वाली एंव लाखों लोगों के आस्था का केंद्र तमसा नदी को आदि गंगा के नाम से भी जाता जाता है। इस तमसा के तट पर त्रेतायुग में वनगमन के समय भगवान श्रीराम ने विश्राम किया था और शिवलिंग की स्थापना की थी। अत्री मुनि के तीनों पुत्र दुवार्सा, दत्तात्रेय एंव चंद्रमा ऋषि ने तमसा के तट के तप किया। दुर्वासा ऋषि तो कलयुग के आरंभ काल तक यहीं रहे जिसके कारण यह नदी हजारों लोगों की आस्था का केंद्र है। कहते हैं कि, इस नदी में स्नान मात्र से सौ पापों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन उपेक्षा के कारण यह नदी नालें में तब्दील हो गयी थी।
जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी की पहल पर आज 16 दिन से नदी की सफाई का काम चल रहा है। अब तमसा के किनारे पांच हजार पेड़ लगाए जाएंगे, ताकि वातावरण शुद्ध हो और तमसा के जल को प्रदूषण से बचाया जा सके।
बता दें कि, तमसा नदी पौराणिक के साथ ही ऐतिहासिक महत्व रखती है। आजमगढ़ शहर तमसा नदी से तीन तरफ से घिरा हुआ है। जिसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। कभी इस नदी के जरिये कारोबार भी हुआ करता था। पौराणिक महत्व की की बात करें तो तमसा-मंजुसा नदी के संगम पर दुवार्सा ऋषि, तमसा-कुंवर नदी के संगम पर दत्तात्रेय और तमसा-सिलनी नदी के संगम पर चंद्रमा ऋषि का आश्रम है। दुवार्सा धाम पर प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश विदेश के चार से पांच लाख लोग भाग लेते हैं। कहते हैं कि, यहां संगम में स्नान मात्र से सौ पाप धुल जाते हैं। संगम स्थलों पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
यही नहीं त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम वन के लिए निकले थे तो तमसा नदी के तट पर विश्राम किया था। उस समय श्रीराम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। उक्त स्थान को आज रामघाट के नाम से जाना जाता है , लेकिन समय के साथ इस नदी को गटर में तब्दील कर दिया गया। शहर में अगर करीब दस स्थानों पर नाला नदी में बहाया जा रहा है। इसके अलावा शहर के बाहर अहरौला से लेकर आजमगढ़ तक इस नदी में दर्जनों स्थानों पर कस्बों का नाला बह रहा है। नगर पालिका शहर का कचरा भी इस नदी के तट पर फेंकती रही है। जिसके कारण नदी लगभग पट गयी है। आज नदी की हालत गटर जैसी हो चुकी है।
पिछले दिनों जिलों में तैनाती के बाद जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी ने पीएम मोदी के गंगा सफाई अभियान से प्रेरित होकर तमसा सफाई अभियान का संकल्प लिया। पिछले 16 दिनों से डीएम के नेतृत्व में जन सहयोग से तमसा का सफाई अभियान चल रहा है। राजघाट से सिधारी पुल तक करीब सवा किमी तक नदी की सफाई की जा चुकी है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। कर्मचारी, समाजसेवी संगठन के लोग इस कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। खुद डीएम कहते हैं कि यह कार्य वे जेसीबी या पोकलेन मशीन से भी करवा सकते थे, लेकिन जन सहयोग से काम कराने के पीछे उद्देश्य है कि जो लोग इस कार्य में हिस्सा लेंगे वे नदी को न तो दूषित करेंगे और ना ही दूसरे को करने देंगे। इसका दूरगामी परिणाम होगा। नदी में कचरे को गिरने से रोकने के लिए टैंक भी बनाने का कार्य किया जाएगा।
वहीं सबसे अहम है कि, प्रशासन नदी की सफाई के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का आधार भी इस नदी क्षेत्र को बनाने जा रहा है। नदी के किनारे जुलाई माह में पांच हजार पौधे लगाए जाएंगे। इसमें मुख्य रूप से बांस, पीपल, पाकड़, गूलर, आवलां, जामुन, अर्जुन आदि के पौधे लगाये जाएगे। पौधों की सुरक्षा के लिए बांस का गार्ड बनाया जायेगा साथ ही पौधों की सिंचाई के लिए श्रमिक भी लगाए जाएंगे। अधिकारियों का मानना है कि, ये जो पौधे लगाए जाने की योजना है यह न केवल प्रदूषण रोकेगे बल्कि पक्षियों के लिए भी मुफीद होगे। वे आसानी से इसमें घोषले बना सकेंगे। आवला, अर्जुन और जामुन में औषधीय गुण होता है इनके पत्ते नदी में गिरेंगे तो जल में प्रदूषण कम होगा।
input रणविजय सिंह

ट्रेंडिंग वीडियो