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सपा नेता के पत्र का सीएम योगी ने लिया संज्ञान, बीमार बहन को लोहिया अस्पातल में कराया भर्ती

locationआजमगढ़Published: Jul 03, 2020 03:38:41 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

– सरकार के एक्शन के बाद जागे सपा मुखिया निजी सचिव को मदद के लिए भेजा अस्पातल- जानकारी होते ही सीएम के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने लालजीत से बात कर शुरू कर दी थी कार्रवाई- सब कुछ जानने के बाद भी सपा को कोई भी स्थानीय नेता मदद के लिए नहीं आया आगे

सपा नेता के पत्र का सीएम योगी ने लिया संज्ञान, बीमार बहन को लोहिया अस्पातल में कराया भर्ती

सपा नेता के पत्र का सीएम योगी ने लिया संज्ञान, बीमार बहन को लोहिया अस्पातल में कराया भर्ती

आजमगढ़. सपा नेता द्वारा बहन के उपचार के लिए खून से लिखे गए पत्र को सीएम योगी आदित्यनाथ ने तत्काल संज्ञान में लिया। सीएम के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी के प्रयास से सपा नेता की बीमार बहन को लोहिया अस्पातल में भर्ती करा दिया गया है। सरकार के पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। वहीं दूसरी तरफ मामले पर चुप्पी साधे सपा मुखिया व आजमगढ़ सांसद अखिलेश यादव भी जाग गए है। उन्होंने अपने निजी सचिव को पीड़ित की मदद के लिए अस्पताल भेजा है। खास बात यह रही कि सपा के स्थानीय नेता पूरी तरह संवेदनहीन बने रहे। अपनी ही पार्टी के एक नेता की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया।

कंधरापुर थाना क्षेत्र के पहाड़पुर गांव निवासी सपा नेता लालजीत यादव के बहन सुनीता देवी की किडनी 85 प्रतिशत तक डैमेज हो गयी है। जिसके कारण वह जिंदगी और मौत से जूझ रही है। स्थानीय अस्पतालों द्वारा उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया था लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते उसे लोहिया अथवा केजीएमयू में भर्ती नहीं किया जा रहा है जिससे उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी।

मजबूर लालजीत यादव ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व सपा मुखिया अखिलेश यादव को अपने खून से पत्र लिखकर बहन के उपचार में मदद मांगी थी। पत्र के बारे में जानकारी होते ही सरकार ने तत्काल संज्ञान में लिया और मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी ने लालजीत यादव व चिकित्सकों से बात की थी। इसके बाद शुक्रवार को सुनीता को लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया।

सरकार द्वारा मदद शुरू करने के बाद पूर्व सीएम अखिलेश यादव की भी तंद्रा भंग हो गई, उन्होंने शुक्रवार को अपने निजी सचिव को पीड़ित परिवार की मदद के लिए अस्पताल भेजा है। वहीं सपा के स्थानीय नेता अब भी मामले पर चुप्पी साधे हुए है। मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर सपा मुखिया और पार्टी के अन्य नेता अपनों की मदद नहीं कर सकते तो औरों का क्या होता होगा।

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