बता दें कि, अखिलेश सरकार ने मुबारकपुर की साड़ी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मुबारकपुर में करीब 13 करोड़ की लागत से विपणन केंद्र का निर्माण कराया था। इसमें बनी दुकानों को बुनकरों को आवंटित करनी थी लेकिन विपणन केंद्र आज तक बेकार पड़ा है। इसे चालू करने में सरकार कोई रूचि नहीं दिखा रही है।
इसी तरह सिधारी रेलवे क्रासिंग पर लोगों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए ओवरब्रिज का निर्माण अखिलेश सरकार में ही शुरू हुआ यह कार्य भी आज तक पूरा नहीं हुआ। ऐसा भी नहीं कि इस काम का बजट नहीं है बजट भी है लेकिन काम इतनी धीमी गति से रूक रूक कर किया जा रहा है कि इसे पूरा होने में अभी सालों लग जाएंगे।
इसी तरह हरबंशपुर में शाही पुल के बगल में तमसा नदी पर नये पुल का निर्माण अखिलेश सरकार में शुरू हुआ लेकिन यह कार्य अभी 50 प्रतिशत भी नहीं हुआ है। कार्यदायी संस्था से कोई पूछने वाला नहीं है कि यह कार्य कब तक पूरा होगा। सबसे बुरा हाल है कृषि विश्वविद्यालय कैंपस का है। इसका भवन वर्ष 201़6 में ही बन कर तैयार हो गया था लेकिन इसे न तो अखिलेश सरकार ने चालू कराया और ना ही अब तक योगी सरकार इस क्षेत्र में प्रभावी कदम बढ़ा सकी है।
ऐसी कई और योजनाएं है जो आधी अधूरी पड़ी हैं। इनके पूरा न होने का खामियाजा आम आदमी भुगत रहा है। जिले से सरकार द्वारा किये जा रहे भेदभाव को लेकर लोगों में गुस्सा भी है। इसका नुकसान बीजेपी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।
input रणविजय सिंह