चुनाव के बाद ही मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ लिया था, इसके बाद से ही दोनों दल एक दूसरे को मात देने की रणनीति बना रहे है।
Akhilesh yadav and mayawati
आजमगढ़. यूपी में सपा-बसपा का गठबंधन टूटने के बाद दोनों ही दलों में शह मात का खेल जारी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अब बसपा के तीन कद्दावर नेताओं को पार्टी में शामिल कर मायावती को बड़ा झटका दिया है। इससे आजमगढ़ में बसपा की मुश्किलें बढ़नी तय है। वहीं आजमगढ़ में कम्युनिस्ट पार्टी को भी बड़ा झटका मिला है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक रामजग भी साइकिल पर सवार हो गए हैं। अभी हाल में ही बसपा के वरिष्ठ नेता रविभूषण विश्वकर्मा बीजेपी में शामिल हुए थे। पार्टी को मिल रहे एक के बाद एक झटके से उबारना मायावती के लिए आसान नहीं होगा।
बता दें कि पिछला लोकसभा चुनाव सपा-बसपा गठबंधन कर लड़ी थी। दोनों दलों ने मिलकर आजमगढ़ में बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया था। यहां आजमगढ़ सीट से खुद अखिलेश यादव जीते थे तो लालगंज सीट बसपा के खाते में गयी थी। चुनाव के बाद ही मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद से ही दोनों दल एक दूसरे को मात देने की रणनीति बना रहे है।
2022 के चुनाव की तैयारी में जुटी सपा ने कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक रामजग, बसपा की पूर्व नेता व कांग्रेस महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष सिंगारी गौतम, बसपा नेता श्यामदेव चैहान सहित दर्जन भर लोगों को पार्टी में शामिल कर लिया। अखिलेश की मौजूदगी में पार्टी ज्वाइन कर आजमगढ़ पहुंचे कार्यकर्ताओं का निवर्तमान जिलाध्यक्ष हवलदार यादव के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया।
पूर्व विधायक रामजग ने कहा कि देश में सांप्रदायिक व पूंजीवादी ताकतों ने धर्म की आड़ में पिछड़े, दलितों, अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार को छीनने की कोशिश कर रही है। आरक्षण, बेरोजगारी, मंहगाई नियंत्रण में सरकार फेल है। पिछड़े व दलितों की छात्रवृत्ति समाप्त कर सरकार ने बता दिया है कि वह गरीबों की दुश्मन है। सिंगारी गौतम ने कहा कि मंहगाई के कारण गरीब के बच्चे वैसे भी नहीं पढ़ पा रहे है। वहीं सरकार मंदिर निर्माण, दशहरा और दीपावली के नाम पर करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है। आम आदमी दवा के आभाव में असमय मौत का ग्रास बन रहा है।
श्यामदेव चौहान ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भाजपा व कांग्रेस को कानून तोड़ने के लिए जिम्मेदार बताया। वर्ष 1949 में जबरदस्ती वहां प्रतिमा रखना और वर्ष 1992 में भाजपा द्वारा मस्जिद तोड़ना कानून का उल्लघन था। आज लोकतंत्र व संविधान दोनों खतरे में है। भाजपा संविधान को बदलना चाहती है। इस देश में बीजेपी का एक मात्र विकल्प अखिलेश यादव है। इस मौके पर महेंद्र यादव, कैलाश यादव, राजाराम सोनकर, रामानुज सिंह, बबीता चौहान, हंसराज चौहान, महेंद्र चौहान आदि उपस्थित थे।