बता दें कि कांग्रेस ने युवा नेता पंकज मोहन सोनकर को लालगंज सीट पर टिकट दिया है। जबकि यहां से कई पुराने नेता दावेदारी कर रहे थे लेकिन राहुल गांधी का करीबी होने का पंकज को फायदा मिला और वे टिकट हासिल करने में सफल रहे। पंकज को टिकट मिलने का एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि वे सोनकर जाति के है। इस क्षेत्र में सोनकर जाति के लोगों का काफी वोट है।
पार्टी के इस दाव से बीजेपी की परेशानी बढ़ी है। कारण कि बीजेपी सांसद भी सोनकर जाति की है। आगामी चुनाव में दो सोनकर जाति के लोगों के मैदान में होने पर मतों में बिखराव की संभावना बढ़ गयी है लेकिन पंकज के सामने विरोधियों से निपटने से बड़ी चुनौती अपनों को साधने की खड़ी हो गयी है।
पार्टी का एक गुट पंकज को टिकट मिलने से काफी नाराज है। टिकट के कई दावेदार भी विरोध का बिगुल फूंकने को तैयार है। ऐसे में पंकज की राह मुश्किल होती दिख रही है। कारण कि गुटबाजी के कारण पार्टी पहले ही जिले में हासिए पर चली गई है। वर्ष 1984 के बाद पार्टी आजमगढ़ में कोई चुनाव नहीं जीती है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने लालगंज लोकसभा सीट पर बलिहारी बाबू को मैदान में उतारा था लेकिन वे 23 हजार के करीब ही वोट हासिल कर पाए थे।
इस बार हाईकमान ने यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पंकज मोहन सोनकर को प्रत्याशी बनाया है तो वे संगठन को ही रास नहीं आ रहे है। टिकट के कई दावेदार जिनमें पीसीसी सदस्य लालती देवी, राजबली, पार्टी के उपाध्यक्ष ज्ञान राम, अवधेश सोनकर पार्टी के फैसले से काफी नाराज है। इनमें से कई नेता हाल में जिलाध्यक्ष के खिलाफ भी मोर्चा खोल चुके है। अब वे प्रत्याशी की मुसीबत बढ़ाने को तैयार है। वैसे प्रत्याशी का दावा है कि पार्टी में सब एकजुट है लेकिन विरोधी हाईकमान तक अपना विरोध दर्ज कराने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो वे जिला अध्यक्ष हवलदार सिंह से अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।
अगर पंकज लालगंज से चुनाव लड़ते हैं तो इसका नुकसान वर्तमान सांसद नीलम सोनकर को हो सकता है। क्योंकि पंकज सजातीय वोटों का बंटवारा करेंगे और इस से भाजपा को नुकसान होगा। हालांकि भाजपा ने अभी तक लालगंज सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
By Ran Vijay Singh