बता दें कि आजमगढ़ संसदीय सीट पर गठबंधन से अखिलेश यादव, भाजपा से दिनेश लाल यादव निरहुआ सहित 15 व लालगंज संसदीय सीट पर गठबंधन की संगीता आजाद, भाजपा की नीलम सोनकर सहित 15 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे थे। शिवपाल यादव ने अखिलेश के खिलाफ प्रत्याशी तो नहीं उतारा था लेकिन लालगंज संसदीय सीट से उन्होंने हेमराज पासवान पर दाव खेला था। वहीं कांग्रेस ने इस सीट से पंकज मोहन सोनकर, आप ने आजीत सोनकर को मैदान में उतारा था।
यदि देखा जाये तो यहां संगीता आजाद बसपा 518820 मत पाकर विजयी रही और दूसरे नंबर पर रही नीलम सोनकर भाजपा को 357223 मत मिले। बाकी प्रत्याशी जमानत नहीं बचा पाए। कम्युनिष्ट पार्टी के त्रिलोकी नाथ को 8838, अजीत सोनकर आप को 4520, चन्द्रशेखर भाप्रपा को 1608, पिन्टू काबद को 1642, राधेश्याम गौतम राउका को 6093 लछिमन कन्नौजिया पृजपा को 1880 तथा अखिलेश को 3232, रामचन्दर को 7325, सन्तोष कुमार को 3163, सुभाष सरोज को 3282 मत मिला। वहीं बीजेपी गठबंधन से बाहर होकर चुनाव लड़े ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा के प्रत्याशी डॉ. दिलीप कुमार मात्र 17927 मत हासिल कर सके। शिवपाल यादव के पार्टी प्रसपा के प्रत्याशी हेमराज पासवान की हालत तो निर्दलियों से भी बदतर रही उन्हें सिर्फ 2320 मत हासिल हुआ। जबकि इस सीट पर 5060 लोगों नोटा का इस्तेमाल किया। गौर करे तो बीजेपी और गठबंधन को छोड़ बाकी की हालत वोट कटवा से अधिक नहीं रही।
आजमगढ़ संसदीय सीट पर भी सुभासपा कुछ खास नहीं कर सकी। यहां सुभासपा के अभिमन्यू सिंह मात्र 10078 मत हासिल कर पाए जबकि उलेमा कौंसिल के प्रत्याशी अनिल सिंह को 6763 मत मिले। जबकि यहां भारत रक्षा दल जैसे सामाजिक संगठन का प्रत्याशी डा. राजीव पांडये 3739 और राजनीति से दूर दूर तक नाता न रखने वाले राजीव तलवार ने भी 2204 मत हासिल कर लिया। यहां 7255 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। कांग्रेस, प्रसपा ने यहां प्रत्याशी ही नहीं उतारा था। यहां अखिलेश की जीत से ज्यादा सुभासपा और प्रसपा की बुरी तरह से हुई हार हुई और अब इन दलों के राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चा हो रही है।
BY- RANVIJAY SINGH